हाईकोर्ट ने दिये भोपाल कलेक्टर को निर्देश
जबलपुर। रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण मध्य प्रदेश ने जिन बिल्डर कंपनी के खिलाफ आरआरसी जारी की थी वह यूनिटेक लिमिटेड की सहायक कंपनी है, इस संबंध में दस्तावेज पेश करने के निर्देश हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भोपाल कलेक्टर को दिये है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई 7 अप्रैल को निर्धारित की है।
याचिकाकर्ता प्रताप भानु सिंह की तरफ से दायर की गयी अवमानना याचिका में कहा गया था कि बिल्डर के खिलाफ रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण मध्य प्रदेश ने कलेक्टर भोपाल के माध्यम से लगभग 23 लाख रूपये प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत ब्याज के साथ आरआरसी अक्टूबर 2020 में जारी की गयी थी। कलेक्टर भोपाल के द्वारा आरसीसी का निष्पादन नहीं करवाये जाने के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने जुलाई 2023 में याचिका का निराकरण करते हुए कलेक्टर भोपाल को निर्देशित किया था कि तीन माह में रेरा द्वारा जारी आरआरसी का निष्पादन किया जाये। निर्धारित समय सीमा के बावजूद भी जारी आरसीसी का निष्पादन नहीं कराये जाने के खिलाफ उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि अवमानना याचिका फरवरी 2024 में दायर की गयी थी। इसके बावजूद भी अभी कलेक्टर भोपाल ने आरआरसी के निष्पादन के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। युगलपीठ ने कलेक्टर भोपाल कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के खिलाफ व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए जमानतीय वारंट जारी किये थे। जमानतीय वारंट जारी होने के बाद भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह गत दिवस बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होने बताया था कि आरआरसी के निष्पादन पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाये जाने के संबंध में रेरा के उप सचिव एचपी वर्मा ने जानकारी दी थी। एकलपीठ ने रेरा के उप सचिव को संबंधित आदेश 24 घंटों में पेश करने के आदेश जारी किये है।
याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भूपिंदर सिंह विरुद्ध यूनिटेक लिमिटेड के आदेश की प्रति पेश करते हुए बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने यूनिटेक लिमिटेड व उसकी सहायक कंपनी के खिलाफ जारी आरआरसी के निष्पादन पर रोक लगा रखी है। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि रेरा ने खनेजा बिल्डर तथा एसबीएस बिल्डकॉन के खिलाफ आदेश जारी किये है। दोनों कंपनी यूनिटेक लिमिटेड की सहायक कंपनी नहीं है, बल्कि पार्टनर है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता कपिल दुग्गल तथा अधिवक्ता ध्रुव वर्मा ने पैरवी की।