केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 44 से बढ़ाकर 48 प्रतिशत की जाए – यादव

भोपाल, 06 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने केंद्रीय करों और राजस्व प्राप्तियों में राज्यों की हिस्सेदारी और अनुदान बढ़ाने की वकालत करते हुए आज कहा कि यह 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 48 प्रतिशत तक किया जाए। ऐसा करने से राज्य सशक्त होंगे।

डॉ यादव ने यहां 16वें केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने राज्य के दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता का जिक्र कर वित्त आयोग से प्रदेश की अपेक्षाओं से भी अवगत कराया।

डॉ. यादव ने कहा कि राज्यों के सशक्तिकरण से ही राष्ट्र का सशक्तिकरण है, इसलिए केन्द्रीय करों और राजस्व प्राप्तियों में राज्यों की हिस्सेदारी अर्थात् अनुदान बढ़ाया जाना चाहिए। राज्य अपनी क्षमता और सीमित संसाधनों से ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए काम करते हैं। केन्द्र सरकार से अधिक वित्तीय अनुदान मिलने से राज्य अपने दीर्घकालीन लक्ष्यों को अल्पकाल में ही प्राप्त कर सकेंगे। ‘विकसित भारत’ का निर्माण, ‘विकसित मध्यप्रदेश’ के बिना नहीं हो सकता, इसलिए केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 48 प्रतिशत तक की जाए। इससे राज्य सशक्त होंगे और राष्ट्र को विकास की ओर ले जाने में सहायक होंगे।

डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश एक बड़ा राज्य है, इसलिए इसकी जरूरतें भी बड़ी हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ही केन्द्र और राज्य सरकारों का लक्ष्य है। केन्द्र और राज्यों के बेहतर तालमेल और आपसी सामंजस्य से यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक प्रगतिशील राज्य है। प्रदेश कृषि, अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन, नगरीय विकास और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों में और अधिक विकास के लिए केन्द्र सरकार से और अधिक वित्तीय सहयोग या अनुदान की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हमारा वार्षिक बजट करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए है। अगले पांच सालों में हम इस बजट को बढ़ाकर दोगुना कर देंगे।

डॉ. यादव ने वित्त आयोग से कहा कि हम नदियों को जोड़कर जल बंटवारे के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) नदी जोड़ो परियोजना में हमने राजस्थान के साथ मिलकर किया जा रहा हैं। केन्द्र सरकार ने इस राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना के लिए 90 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए। इसी तरह केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के लिए उत्तरप्रदेश सरकार के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा हैं। अब महाराष्ट्र सरकार के साथ ताप्ती नदी परियोजना पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज से 20 साल पहले तक प्रदेश में केवल 7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिचिंत थी, आज प्रदेश की 48 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को हम सिंचित कर चुके हैं। प्रदेश में नदी जोड़ो के लिए एक अभियान चला रहे हैं। खेतों तक पानी पहुंचाना हमारा पहला कर्तव्य है। हमारी नीतियों के कारण किसानों का जैविक खेती की ओर तेजी से रुझान बढ़ा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी 18 नई औद्योगिक नीतियों के कारण निवेशक भी जुड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश में एक वर्ष के दौरान 30.77 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह निवेशकों का मध्यप्रदेश पर बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश में हरसंभव तरीके से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देंगे। हमारी कोशिश है कि देश का 20 प्रतिशत से अधिक दुग्ध मध्यप्रदेश में उत्पादित हो, इससे हमारे किसान और पशुपालक दोनों सम्पन्न होंगे।

डॉ. यादव ने कहा कि हम प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले तीन सालों में 30 लाख किसानों को सोलर पम्प देने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। इससे हमारे किसान अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे। सरकार किसानों को मात्र पांच रुपए में बिजली का स्थाई कनेक्शन देने जा रही है, इससे हमारे किसानों को बिजली कनेक्शन के लिए कहीं भी भटकना नहीं पड़ेगा।

डॉ. यादव ने वित्त आयोग को मध्यप्रदेश में बीते एक वर्ष में किए गए नवाचारों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने एयर एम्बुलेंस सेवा प्रारंभ की है। कई गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पतालों तक पहुंचाकर उनका जीवन बचाया गया। उन्होंने राज्य के विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय सहयोग की मांग रखते हुए राज्य सरकार की विशेष प्राथमिकताओं को भी पृथक से रेखांकित किया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से वित्त आयोग को ज्ञापन की प्रति भी सौंपी। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और वित्तीय सहयोग की जरूरतों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

इस बीच सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री पनगढ़िया ने कहा कि बड़े राज्यों के विकास के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में उपलब्धियों के साथ औद्योगिक प्रगति भी जरूरी है। सिर्फ कृषि के आधार पर किसी देश के विकसित बनने का उदाहरण नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को नीतियों में सुधार लाना चाहिए। अपनी ऊर्जा का पूरा उपयोग जरूरी है। मध्यप्रदेश आगे बढ़कर कुछ क्षेत्रों में पहल कर कानूनों में सुधार करे, तो केन्द्र भी सहयोग देगा ।

आयोग के अध्यक्ष श्री पनगढ़िया ने कहा कि विकास होगा, तो शहरीकरण भी होगा। यह जरूरी है और इसके लिए कदम उठाये जा सकते हैं। रोजगार निर्माण की प्रक्रिया भी साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग पर विकसित भारत के लिए रोडमैप बनाने की चुनौती है। वित्त आयोग सभी राज्यों के साथ संवाद कर रहा है। संवाद सत्रों के बाद आयोग के सभी विशेषज्ञ सदस्यों के साथ परामर्श कर राज्यों को वित्तीय संसाधनों के आवंटन पर निर्णय लिया जा सकेगा।

आयोग के सदस्य डॉ. मनोज पांडा ने मध्यप्रदेश में विकास के कार्यक्रमों और नवाचारी पहल की तारीफ करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। आयोग के सदस्य ए एन झा ने कहा कि बीते वर्षो में मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा आर्थिक वृद्धि करने वाला राज्य है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की विकास संबंधी सोच अच्छी है। कई क्षेत्रों में अन्य प्रदेशों के लिए उदाहरण बन सकता है। डॉ. एनी जार्ज मैथ्यू ने प्रदेश की ओर से विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित हुए प्रस्तुतिकरण की तारीफ करते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा कि मध्यप्रदेश ने स्वयं को वित्तीय प्रबंधन में आदर्श राज्य बनाया है। यह निरंतर राजस्व आधिक्य वाला राज्य बना है। मध्यप्रदेश ने पन्द्रहवें वित्त आयोग के भी सभी लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि देश के लिए मध्यप्रदेश का जल, जंगल और जमीन जैसे संसाधनों की रक्षा करना जरूरी है।

उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने 16 वें वित्‍त आयोग के अध्‍यक्ष, सदस्‍यों तथा अधिकारियों स्वागत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश अपने वित्‍तीय संसाधनों का पूरी क्षमता और कुशलता से संचालन कर रहा है। श्री देवड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्‍य है। मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्‍व में हम 2047 तक एक विकसित राज्य बनने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिये एक व्यापक एवं सुव्यवस्थित रोडमैप तैयार किया है। अगले 5 वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने तथा महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के विकसित भारत के विजन के अनुसार विकसित मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया है। पांच सालाना कार्ययोजना बनाई है। उन्होंने कहा कि गरीब कल्याण मिशन, युवा कल्याण मिशन, किसान कल्याण और महिला सशक्तिकरण के लिए मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान बढ़ा है। अगले 25 सालों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शहरीकरण के साथ-साथ औद्योगिकीकरण पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।

श्री जैन ने क्षेत्रीय निवेश सम्मेलनों और हाल में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए लगातार ‘फॉलो-अप’ किया जा रहा है। मध्यप्रदेश ने 18 नीतियां बनाई हैं। पर्यटन एक प्रमुख क्षेत्र है। मध्यप्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं। इसमें आध्यात्मिक पर्यटन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जन विश्वास कानून और इसके पहले लोक सेवा प्रदाय गारंटी कानून से शासन-प्रशासन सुगम और सहज हुआ है। इसके अलावा समग्र डाटा, संपदा में ऑनलाइन पंजीयन, संपतियों की मैपिंग, स्वामित्व योजना, कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग का उपयोग करने जैसे कई प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।

सोलहवें वित्त आयोग की बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला सहित मंत्रिमण्डल के सभी सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहें। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने मध्यप्रदेश के समग्र वित्तीय परिदृश्य पर प्रेजेंटेशन दिया। अपर मुख्य सचिव संजय कुमार शुक्ला ने नगरीय प्रशासन और नगरीय निकायों की भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं और योजनाओं की चर्चा की। प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन और अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकताओं की चर्चा की। अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला ने पर्यटन एवं संस्कृति में अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन की नई संभावनाएं बनी हैं। इसके अलावा हेरिटेज, फिल्म पर्यटन जैसे नये क्षेत्र भी सामने आये हैं। नई नीतियों के तहत इनमें निवेशक, निवेश के लिये आकर्षित हुए हैं।

प्रमुख सचिव राघवेन्द्र कुमार सिंह ने नये मध्यप्रदेश के विजन की चर्चा करते हुए कहा कि औद्योगिकीकरण पर विशेष ध्यान देने और विदेशी पूंजी निवेश, एआई, साइबर प्रशासन जैसे नये क्षेत्रों के आने से नया मध्यप्रदेश बन रहा है। प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने ऊर्जा क्षेत्र के संबंध में बताया कि 15वें वित्त आयोग के लक्ष्यों को पूरा कर लिया गया है। अब हाइब्रिड स्टोरेज पर ध्यान दिया जा रहा है। किसानों को भरपूर बिजली देने की व्यवस्था कर ली गई है। मध्यप्रदेश देश में सबसे सस्ती दर पर सोलर ऊर्जा उत्पादन करने वाला राज्य है।

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