नयी दिल्ली/रायपुर 03 मार्च (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में 450 करोड़ से अधिक के कोयला लेवी वसूली और मनी लांड्रिंग घोटाला मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के निलंबित अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया,व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और अन्य को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है।
इस संबंध में सोमवार को फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की युगल पीठ ने कहा,“जांच की समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए और जल्दबाजी में जांच की मांग किए बिना हम याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं।”
शीर्ष अदालत ने रानू साहू, सौम्या चौरसिया, दीपेश टोंक, राहुल कुमार सिंह, शिव शंकर नाग, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल, संदीप कुमार नाग, रोशन कुमार सिंह, समीर विश्नोई, शेख मोइनुद्दीन कुरैशी, सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम जमानत दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा, इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं। ये सभी करीब दो वर्ष से अधिक समय से जेल में हैं। इनकी पूर्व में कई याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं।
शीर्ष अदालत ने सरकार को कहा है कि मामले में निर्धारित तारीख पर याचिकाकर्ताओं के आचरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत रिहाई ट्रायल के आधार पर दी गई है ताकि स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाया जा सके। अदालत ने कहा कि यदि किसी गवाह को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में लिप्त पाया जाता है, तो राज्य सरकार अंतरिम जमानत रद्द कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और उस स्थिति में अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह भी कहा,“जांच की समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए और जल्दबाजी में जांच की मांग किए बिना हम याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं।