
सुसनेर, 28 फरवरी. सुसनेर विकासखंड में जनपद पंचायत सुसनेर के अंतर्गत आने वाली 61 ग्राम पंचायतों में से लगभग 50 फीसदी सीटों पर महिला सरपंच निर्वाचित हैं. लेकिन ये अपने अधिकारों का उपयोग सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि इनकी कुर्सी पर इनके पति या अन्य रिश्तेदार काबिज होकर सरपंची का मजा ले रहे हैं. यही कारण है कि पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को मिले आरक्षण का लाभ असल में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों को नहीं मिल पा रहा है.
इसलिए पंचायत मंत्रालय ने महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए महिला सरपंच की आड़ में सरपंची करने वाले उनके पतियों व अन्य रिश्तेदारों पर जुर्माना व दंडात्मक कार्रवाई की दिशा में कदम उठाया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने पंचायती राज प्रणालियों और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और उनकी भूमिकाओं में परिवर्तन प्रॉक्सी भागीदारी के प्रयासों को समाप्त करना नामक रिपोर्ट तैयार की है, जिसे मंत्रालय ने मंजूर कर लिया है. प्रतिनिधि सरपंची को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाया जा रहा कदम इसलिए सही माना जा सकता है, क्योंकि जमीनी स्तर पर हालत खराब है. पंचायती राज में महिलाओं को मिले अधिकार का हनन उन्हीं के प्रतिनिधि सरपंची करके कर रहे हैं.
जनपद एवं प्रशासन की बैठकों में भी पति शामिल
हालत यह है कि जब भी किसी शासकीय योजना के क्रियान्वयन को लेकर या कोई आयोजन को लेकर प्रशासन एवं जनपद के द्वारा बैठक आयोजित की जाती है, तो इसमें महिला सरपंच की जगह उनके पति एवं रिश्तेदार ही बैठक में हिस्सेदारी करते हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रशासनिक अधिकारी भी इन्हें ही असल सरपंच मानकर के इनका सम्मान भी करते नजर आते हैं.
