मामला बीआरटीएस का
नव भारत न्यूज
इंदौर. शहर में यातायात व्यवस्था के लिए श्रापित बीआरटीएस आखिर टूटेगा. हाईकोर्ट ने आज तोड़ने के आदेश दे दिए. इसमें याचिकाकर्ता पहले दिन से गलत बनाने को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे. बीआरटीएस को बनाने में आईडीए, नगर निगम और एआईसीटीसीएल सहित सभी विभागों के 350 करोड़ रुपए बर्बाद हो गए.
आज हाईकोर्ट ने बीआरटीएस को तोड़ने के आदेश दे दिए. उक्त मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे थे. बताया जाता हैं कि आज भी हाईकोर्ट में कोडवानी ने ही स्वयं पैरवी की. तोड़ने की पुष्टि निगम के वकील मनोज मुंशी ने बीआरटीएस तोड़ने की पुष्टि की. एडवोकेट अमित अग्रवाल समिति ने बीआरटीएस को हटाने की अनुशंसा की थी. आज हाईकोर्ट ने तोड़ने के आदेश दे दिए हैं. बीआरटीएस बनाने के पीछे जेएनयूआरएम योजना का पैसा था, जिस पर अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों बड़ी नजर थी. करोड़ों की राशि और वो भी एक मुश्त, कल्पना से परे था. विकास की योजना सिर्फ खर्च के लिए बनाई गई। सही गलत का निर्धारण किया ही नहीं गया. परिणाम यह है कि 350 करोड़ रूपए से ज्यादा पैसा बर्बाद हो गया.
14 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस एबी रोड पर बना
आईडीए ने बीआरटीएस कॉरिडोर के लिए राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर चौराहे तक 14 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग चुना गया था। यह करीब चार साल में पूरा हुआ था। इसका काम संभवतः 2006 – 07 में शुरू किया गया था।