दिल्ली डायरी
प्रवेश कुमार मिश्र
भाजपाई रणनीतिकारों ने अपने नए अध्यक्ष के चयन को लेकर मंथन आरंभ कर दिया है. सांगठनिक अनुभव के साथ-साथ जातीय व क्षेत्रीय समीकरण को केंद्र में रखकर विभिन्न वरिष्ठ नेताओं के नाम पर आंतरिक विमर्श चल रहा है. दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों भाजपा के नए अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा चल रही है. कुछ लोग दक्षिण भारतीय नेता के हाथ पार्टी का नेतृत्व सौंपकर दक्षिण भारत में सकारात्मक संदेश देने की वकालत कर रहे हैं जबकि कुछ लोग अपेक्षाकृत अनुभवी युवा नेता को कमान सौंपकर पार्टी के अंदर दूसरी पंक्ति में बैठे नेताओं को आगे लाने की बात कह रहे है. हालांकि ज्यादातर नेता किसी पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व राज्यपाल के हाथ जिम्मेदारी देकर सत्ता व संगठन के बीच बेहतर तालमेल बैठाकर विजयी रफ्तार को पंख देने की बात कह रहे हैं. इन सबके बीच एक चर्चा यह भी है कि जिम्मेदारी ऐसे नेता को दी जाएगी जो प्रधानमंत्री व गृहमंत्री का विश्वासपात्र होने के साथ साथ जिस पर संघ का भी आशीर्वाद होगा.
बिहार चुनाव आहट के साथ गरमाया माहौल
इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के पहले सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं व रणनीतिकारों ने एक-दूसरे को घेरने के लिए आरोप प्रत्यारोप आरंभ कर दिया है. जिस तरह से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार के खिलाफ राजग खेमे के नेता और जनसुराज द्वारा आरोप लगाया जा रहा है उससे साफ है कि बिहार में राजद की जड़ें अभी हिली नहीं है. इस बीच इंडिया समूह के अंदर भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. कांग्रेस पार्टी के नेता भी राजद नेताओं के सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के खिलाफ आए परिणाम को दिखाकर एकजुटता बनाकर चलने का संदेश देने के प्रयास में हैं. इसी वजह से दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिहार में राजद के साथ सम्मानजनक गठबंधन के उद्देश्य से ही कांग्रेस फिलहाल अलग राह पर चल रही है.क्योंकि सभी जानते हैं कि यदि कांग्रेस पार्टी दिल्ली की तर्ज पर ऐकला चलो की रणनीति बनाती है तो इसका प्रत्यक्ष नुकसान राजद को ही होगा. जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की बात दोहराकर भाजपाई रणनीतिकार दूर की राजनीति कर रहे हैं.
फोटो लगाने व हटाने पर राजनीति में हंगामा
दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में लगे बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर व शहीद-ए-आजम भगतसिंह की तस्वीर को हटाने पर भाजपा और आप नेता आमने-सामने आ गए हैं. जहां एक तरफ आप नेता इसे दलितों और सिखों का अपमान बताकर अपने बिखरे वोटबैंक को साधने के प्रयास में हैं वहीं दूसरी ओर 27 वर्षों बाद सत्ता में आई भाजपा फोटो विवाद को बेवजह का हंगामा करार देते हुए आप पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगा रही है. आपसी नोंक-झोंक के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपिता, राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने की प्रथा रही है इसलिए इस पर बेवजह हंगामा सही नहीं है. मुख्यमंत्री ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा है कि आप नेता बाबासाहेब व शहीद-ए-आजम के पीछे अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के प्रयास में जुटे हैं.
शरद पवार व मोदी के बीच की केमिस्ट्री पर सबकी नजर
महाराष्ट्र की राजनीति पर भले ही भाजपा का कब्जा हो गया है लेकिन अभी भी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा में हैं. पिछले कुछ दिनों में विभिन्न कार्यक्रमों में शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच समन्वय, सम्मान और सहजता का जो उदाहरण देखने को मिला है उसके बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. इतना ही नहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच की मतांतर की खबरें भी किसी राजनीतिक हलचल की ओर इशारा कर रही है. चर्चा है कि शरद पवार को साधकर भाजपा जहां एक तरफ इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़ा कर देगी तथा अजित पवार के साथ समन्वय बैठा देगी वहीं दूसरी ओर शिंदे के दबाव को स्थाई रूप से समाप्त कर देगी.
राजनीति में एक और नेता पुत्र के प्रवेश का संकेत
राजनीति में परिवारवाद पर लगातार प्रतिक्रियावादी रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार के राजनीति में प्रवेश की चर्चा जोर पकड़ रही है . पिछले दिनों अपने पिता के पक्ष में बयान देकर निशांत ने इस खबर को आधार दे दिया है. चर्चा है कि जदयू के रणनीतिकार अपने बीच के किसी दूसरे नेता को समन्वय के अभाव के कारण नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी घोषित करने को तैयार नहीं है. ऐसे में पार्टी नेताओं ने कथित तौर पर आगे बढ़कर निशांत कुमार को जदयू का युवा चेहरा व भविष्य बनाने प्रयास आरंभ कर दिया है
