महाकुंभ महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ हुआ संपन्न

महाकुंभनगर, 26 फरवरी (वार्ता) सनातनी परंपरा की धर्म ध्वजा को पूरी दुनिया में विस्तार देने वाला 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ बुधवार काे महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ संपन्न हो गया।

त्रिवेणी तट पर हिलोर मारती आस्था के बीच सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर पहलू पर नई लकीरें भी खींची गई। संभवत: कुंभ 2031 में इससे भी बड़ी लकीर खींची जा सके इन्हीं संकल्पों एवं संभावनाओं के साथ संंत-महात्मा विदा हो चुके तो सरकार में एवं प्रशासन ने भी मेला समेटना शुरू कर दिया है।

महाकुंभ में छह स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान,14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 3 फरवरी को बसंत पंचमी,12 फरवरी को माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ संपन्न हुआ महाकुंभ का अमृत स्नान। इस महाकुंभ के लिए एक नया जिला ‘महाकुंभनगर’ किया गया था जिसका अपना अलग प्रशासन कायम था। कोई 45 दिनों तक नए जिले के रूप में काम करने वाले टेंट की अस्थायी आध्यात्मिक नगरी समाप्त हो गयी। गुरुवार से मेला बसाने वाले तीर्थ पुरोहित भी अपने अपने टेंट को खाली करना शुरू कर देंगे।

हालांकि, पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के अविरल तट पर आस्था जन प्रवाह अब भी बना हुआ है। 45 दिनी यह आयोजन करीब 65 करोड़ सनातनियों के समागम का साक्षी बना। परमब्रह्म ब्रह्माजी की इस यज्ञ भूमि पर संतों के शिविरों में कई संकल्प पारित हुए तो केंद्र एवं कई राज्यों की सरकारों ने देश एवं तथा प्रदेश के विकास का खाका प्रस्तुत किया।

इन दिनों में पूरी दुनिया मानों यहां सिमटी दिखाई दी और सनातन धर्म के वैभव का हिस्सा बनने के साथ आध्यात्मिक चेतना का आत्मसात किया। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री समेत अधिकांश केंद्रीय मंत्री, मुख्य चुनाव आयुक्त, शीर्ष नौकरशाहों के अलावा उद्योगपति गौतम अडानी, मुकेश अंबानी, एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी पावेल जॉब्स,अक्षय कुमार समेत कई बड़े फिल्म स्टार समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा 76 देश के प्रतिनिधि महाकुंभ की भव्यता को देखा तो देश और कई प्रदेशों की सरकारें भी तीर्थों के राजा के आगे नतमस्तक हुई।

महाकुंभ में बुधवार शाम चार बजे तक करीब 66 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। महाकुंभ की विदायी के बाद अब कुंभ मेला 2027 में महाराष्ट्र के नासिक के गोदावरी तट पर लगेगा जहां सभी साधु-संन्यासी और मेले के आकर्षण नागा साधुओं का डेरा लगेगा। तीर्थराज प्रयाग में अब अगली जनवरी में निर्धारित समय पर एक बार फिर कल्पवासी कल्पवास करने एक मास तक अपना डेरा डालेंगे। मेला की शान कहे जाने वाले नागा संन्यासी बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद 12 ज्याेतिर्लिंग में से एक बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के लिए कूच कर गये थे। वहां होली रहने के बाद अपने अपने गंतव्य को निकल जाएंगे और फिर महाराष्ट्र के नासिक के गोदावरी तट पर लगने वाले कुंभ के मेले में मिलेंगे।

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