याचिका पर अगली सुनवाई 1 मई को
जबलपुर। सरकार की तरफ से राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया तथा मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के संबंध में फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए एक सप्ताह की मोहलत प्रदान की है। याचिका पर अगली सुनवाई 1मई को निर्धारित की गयी है।
गौरतलब है कि ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत के मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे। संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है। सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गये। बचाव के प्रयास के बावजूद भी मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी। इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं। गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं।
याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था। एक्ट के परिपालन के लिए कमेटी की समय-समय पर बैठक का आयोजित होगी थी। युगलपीठ ने पाया कि कुछ ही कमेटी का गठन किया गया है। युगलपीठ ने याचिका में राज्य मानव अधिकार आयोग को अनावेदक बनाते हुए ऐसे कितने मामलों में उनकी तरफ से संज्ञान लिया गया है,इस संबंध में हलफनामा पेश करने निर्देश जारी किये थे।
याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर आयोग के रजिस्ट्रार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ था। उन्होने युगलपीठ को बताया था कि विगत 6 माह से आयोग का अध्यक्ष पद रिक्त है। युगलपीठ ने आयोग के अध्यक्ष पद रिक्त होने के संबंध में सरकार से हलफनामा मांगा था। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किये।