जबलपुर: विवाहित महिला द्वारा पड़ोसी युवक के खिलाफ बलात्कार के अपराध में दर्ज कराई गई एफआईआर को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में इस बात का उल्लेख नहीं है कि यौन संबंध स्थापित करने की सहमति के लिए याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता महिला से झूठा वादा किया था।
छतरपुर निवासी वीरेंद्र यादव ने बलात्कार के अपराध में दर्ज एफआईआर को खारिज किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उसके पडोस में विवाहित महिला रहती थी, जिसके दो बच्चे थे। महिला ने उसके खिलाफ बडे मल्हार थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है कि शादी का प्रलोभन देकर युवक ने उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे। महिला की शिकायत पर पुलिस ने उसके खिलाफ बलात्कार का प्रकरण दर्ज कर लिया था।
याचिकाकर्ता की तरफ से विवाहित महिला के द्वारा दर्ज करवाई गयी बलात्कार के मामले में पारित आदेश का हवाला दिया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने एकलपीठ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश है कि विवाहित महिला यह आरोप नहीं लगा सकती थी कि सहमति तथ्य की गलत धारणा के आधार पर प्राप्त की गई थी।. एकलपीठ ने अपने आदेश में एफआईआर में दर्ज तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा है कि महिला ने स्वयं कहा है कि वह पिछले 3 महीनों से याचिकाकर्ता के साथ संबंध में थी।
उसका पति ड्रायवर था और जब भी वह बाहर जाता तो याचिकाकर्ता उसके घर आता था और उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित होते थे। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि शिकायतकर्ता द्वारा तथ्य की किसी गलत धारणा के तहत सहमति दी गई थी। एफआईआर में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता पर विवाह के झूठे वादे की आड़ में विवाह करने के लिए दबाव डाला। इसके अलावा एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता कहता था कि वह अपनी पत्नी को तलाक देगा और शिकायतकर्ता से विवाह करेगा। एफआईआर में यह कहीं नहीं कहा गया है कि झूठे वादे की आड़ में याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता को यौन संबंध बनाने के लिए राजी किया। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को दोषमुक्त करते हुए दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किये है।