नयी दिल्ली, 15 फरवरी (वार्ता) मादक पेय बनाने वाली कंपनियों के शीर्ष संगठन ने कहा है कि वे मदिरा पर आयात आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन भारतीय बाजार को डंपिंग से बचने के लिए आयात शुल्क में कटौती धीरे धीरे की जानी चाहिए।
भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) ने शनिवार को एक बयान में कहा, “भारतीय शराब निर्माता आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ नहीं हैं, पर वे चाहते हैं कि शुल्क में चरणबद्ध तरीके से होनी चाहिए।” सीआईएबीसी का यह बयान भारत द्वारा अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर आयात शुल्क में कटौती के मद्देनजर आया है।
सीआईएबीसी ने सरकार से भारतीय कंपनियों की चिंताओं को दूर करने और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) वार्ता में समान अवसर सुनिश्चित करने और आयातित मदिराओं की डंपिंग को रोकने के लिए कड़े प्रभावी उपाय करने की अपील की है।
संगठन ने भारतीय मादक उत्पादों के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश सुगम किए जाने के मुद्दे पर भी काम करने का आग्रह किया है, जो वर्तमान में विभिन्न देशों में कई गैर-प्रशुल्कीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं।
संगठन ने मदिरा पर सीमा शुल्क में कमी के मद्देनजर आयातित शराब पर आबकारी में रियायतें वापस लेने का भी अनुरोध किया है।
सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने कहा, “सीमा शुल्क में कटौती (मूल+अतरिक्त प्रशुल्क) और मुक्त व्यापार समझौतों एफटीए के तहत अन्य रियायतों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेते समय सरकार को भारतीय शराब निर्माताओं के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा, “हमने सरकार से 10 वर्षों की अवधि में शराब पर मूल सीमा शुल्क में कटौती करने की सिफारिश की है, हम यह भी चाहते हैं कि सरकार विशेष रूप से पश्चिमी देशों में बेहतर अंतरराष्ट्रीय बाजार पहुंच सुनिश्चित करे और विशेष रूप से भारत के लिए कम कीमतों पर हस्तांतरण मूल्य तंत्र के माध्यम से उत्पादों की किसी भी डंपिंग के खिलाफ भारतीय कंपनियों के हितों की रक्षा करे।”