विरोध से बेपरवाह जीतू पटवारी अपनी टीम बनाने में लगे

सियासत

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का हालांकि विरोध हो रहा है, लेकिन वो अपने विरोध से बेपरवाह हैं. दरअसल, राहुल गांधी ने पिछले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनों जीतू पटवारी को फ्री हैंड दे दिया है. राहुल ने लोकसभा चुनाव में मिली पराजय लिए जीतू पटवारी को जिम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया है. इसी के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पूरा संरक्षण दिया है. इसके बाद से ही जीतू पटवारी लगातार एक्शन मोड पर हैं. उनकी कोशिश है कि जुलाई के पहले सप्ताह तक पीसीसी का गठन कर लिया जाए. जीतू पटवारी की कोशिश रहेगी कि पीसीसी के अधिकांश सदस्य 50 से 55 वर्ष की उम्र तक के हों.

वो प्रभावशाली मैदानी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां देना चाहते हैं. हालांकि उनके समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं है क्योंकि प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने जीतू पटवारी को हटाने की मांग की है. हालांकि हाई कमान ने जीतू पटवारी को हटाने से इनकार कर दिया है. बहरहाल, लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े स्तर पर परिवर्तन होगा. संगठन में 50 प्रतिशत से अधिक नए चेहरों को स्थान मिलेगा. इसमें उन्हें शामिल किया जाएगा, जिन्हें युवक कांग्रेस या जिलों में विभिन्न पदों पर काम करने का अनुभव है.

अनुभवी नेताओं के साथ-साथ महिला और कुछ विधायकों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश कार्यकारिणी के लिए केंद्रीय संगठन को नाम प्रस्तावित भी कर दिए हैं. विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार मिलने के बाद जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाने के साथ प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया था.पार्टी ने लोकसभा चुनाव बिना कार्यकारिणी के ही लड़ा. लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अब पटवारी ने अपनी टीम का खाका खींच लिया है. उन्होंने केंद्रीय संगठन की मंशा के अनुरूप 50 प्रतिशत से अधिक युवाओं को संगठन में काम करने का अवसर देने का निर्णय लेकर कार्यकारिणी प्रस्तावित कर दी है.
इसमें युवा कांग्रेस और जिला संगठनों में विभिन्न पदों पर काम कर चुके युवाओं को अवसर दिया जाएगा. वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का लाभ लेने के लिए उन्हें भी संगठन में रखा जाएगा. महिलाओं के साथ-साथ कुछ विधायकों को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है. इसमें तराना से विधायक महेश परमार, पूर्व विधायक प्रवीण पाठक, तरुण भनोट, जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, लाखन सिंह यादव, सिद्धार्थ कुशवाहा, सुरेंद्र सिंह बघेल आदि शामिल हैं. मुख्य प्रवक्ता कुणाल चौधरी को महासचिव बनाया जा सकता है.

छोटी और प्रभावी होगी प्रदेश कार्यकारिणी

प्रदेश कांग्रेस ने यह भी तय किया है कि अब प्रदेश कार्यकारिणी बड़ी नहीं होगी. अभी 68 नाम प्रस्तावित किए गए हैं. दरअसल, कमल नाथ ने अपनी कार्यकारिणी में ढाई सौ से अधिक पदाधिकारी रखे थे. विधानसभा चुनाव के समय नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए भी प्रदेश संगठन ने कई पदाधिकारी नियुक्त कर दिए थे. हालांकि, चुनाव के बाद इनकी नियुक्ति स्वमेव समाप्त हो गई. प्रदेश संगठन प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि कार्यकारिणी में कितने पदाधिकारी रहेंगे, यह निर्धारित नहीं रहता है. प्रदेश अध्यक्ष अपने हिसाब से अपनी टीम बनाते हैं. अभी कार्यकारिणी भंग है. जल्द ही नियुक्तियां होंगी. प्रदेश में संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव जितेंद्र सिंह ने मंथन कार्यक्रम की घोषणा की थी पर इसकी तिथि अब तक तय नहीं हो पाई है. इस कार्यक्रम में ब्लाक से लेकर राज्य स्तर तक बैठक करके संगठन को मजबूत करने को लेकर चर्चा होनी है. इसके निष्कर्षों के आधार पर संगठन आगामी कार्यक्रम निर्धारित करेगा और आवश्यकता अनुसार जिला इकाइयों में भी परिवर्तन किया जाएगा

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