सियासत
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए इंदौर जिला सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है. पिछले लगभग 33 वर्षों से इंदौर जिले में भाजपा ने लगातार चुनावी सफलताएं अर्जित की हैं. लगता है कांग्रेस ने इंदौर जिले को पूरी तरह से भाजपा के हवाले कर दिया है. यही वजह है कि यहां का संगठन मजबूत करने के दिशा में कांग्रेस जरा भी प्रयत्न नहीं कर रही है. 2028 के विधानसभा चुनाव को अभी 3 वर्ष से ज्यादा का समय है, लेकिन भाजपा की मतदान केंद्र समितियां तैयार हैं. सभी मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष निर्वाचित तो चुके हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस अपने जिलाध्यक्ष बदल नहीं पा रही है. यही नहीं, लगभग 8 वर्ष हो गए हैं न तो जिले की और न हीं नगर की कार्यकारिणी गठित हो पाई है.
जाहिर है इंदौर में खुद को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के पास कोई योजना नहीं है. जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इसी जिले के हैं. इंदौर जिले में भाजपा जिला पंचायत और इंदौर नगर निगम दोनों चुनाव में पिछले 5 बार से लगातार सफलता प्राप्त कर रही है. जनपद सदस्य और सरपंचों के मामले में भी भाजपा कांग्रेस के मुकाबले कहीं आगे रहीं. इंदौर जिले में संघ परिवार का नेटवर्क भी बहुत मजबूत है जिसका लाभ भाजपा को मिलता ही है. इंदौर नगर निगम में सन 2000 में पहली बार मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष जनता द्वारा किए गए थे. उन चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय जनता द्वारा निर्वाचित पहले महापौर बने थे.
इसके बाद 2005 में डॉ उमा शशि शर्मा निगम महापौर का चुनाव जीती, उन्होंने कड़े संघर्ष में शोभा ओझा को लगभग 13000 मतों से हराया था. 2010 में कृष्ण मुरारी मोघे को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के पंकज संघवी को लगभग 3500 मतों से हराया था. यह कांग्रेस की नगर निगम चुनाव में सबसे नजदीकी हार थी अन्यथा 2015 के चुनाव में मालिनी गौड़ और 2023 के चुनाव में पुष्यमित्र भार्गव ने भारी अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशियों को पराजित किया है. जिला पंचायत के चुनाव में भी यही स्थिति रही. भाजपा की ओर से रामकरण भाबर, कैलाश पाटीदार, ओम परसावदिया, कविता पाटीदार और रीना मालवीय(मौजूदा अध्यक्ष) जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं. भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जनपद और जिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ही ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी भारी सफलताएं प्राप्त की हैं. पिछले वर्ष हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने जिले में चारों जनपद अध्यक्ष बनाने में सफलता प्राप्त की थी. इसी तरह नगर निगम के वार्डों के चुनाव में भी भाजपा को भारी अंतर से जीत मिली है. भाजपा ने पिछले 5 बार से 50 से अधिक पार्षद निर्वाचित करवाने में सफलता प्राप्त की है.