अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्यभार संभालते ही अपने निर्णयों से दुनिया में उथल पुथल मचा दी. उनकी टैक्स नीति और अवैध प्रवासियों को अपने देश वापस भेजने की जिद ने दुनिया में अलग तरह का तनाव उत्पन्न कर दिया है. खास तौर पर टैक्स नीति के कारण यूरोपीय देश परेशान हो गए हैं. अनेक यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप प्रशासन के निर्णयों को जंग छेडऩे जैसा बताया है. अमेरिका की टैक्स नीति और आव्रजन नीति की वजह से भारत भी प्रभावित हो रहा है.दरअसल, पूरे विश्व को लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों व आदर्श जीवन मूल्यों की नसीहत देने वाले अमेरिका ने विभिन्न देशों के कथित अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने की कार्रवाई को बलपूर्वक अंजाम देना शुरू कर दिया है.सुनहरे सपनों की आस में घर-खेत दांव पर लगाकर व एजेंटों को लाखों रुपये देकर अमेरिका पहुंचे युवाओं ने सपने में नहीं सोचा होगा कि उन्हें अपराधियों की तरह वापस उनके देश भेजा जाएगा. भविष्य के सुनहरे सपनों की आस संजोए हमारे युवा को कभी पूर्वी एशिया के देशों में साइबर अपराधी बंधक बनाकर ऑनलाइन धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं, तो कभी उन्हें धोखे से बिचौलिए रूसी सेना में भर्ती करवा देते हैं.कभी उन्हें इस्राइल-हमास के भयावह युद्धग्रस्त इलाके में काम की तलाश में पहुंचा दिया जाता है.लाखों भारतवंशियों ने अपनी मेधा व पसीने से अमेरिका की प्रतिष्ठा पर चार-चांद लगाए हैं.अंतरिक्ष में इतिहास रचने वाली कल्पना चावला से लेकर भारतवंशी कमला हैरिस, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद तक हासिल किया. यह विडंबना ही है कि मूलत: प्रवासियों द्वारा बसाये देश अमेरिका में आज सेना के बल पर बेहतर भविष्य की तलाश में आए प्रवासियों को खदेड़ा जा रहा है. यह विडंबना है कि प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा से कुछ दिन पहले एक अमेरिकी सैन्य विमान से दो सौ से अधिक कथित अवैध भारतीय प्रवासियों को जबरन वापस भारत भेजा गया. इस विषय पर गुरुवार को संसद में जमकर हंगामा भी हुआ.हालांकि, भारत ने कूटनीतिक प्रयासों से अवैध अप्रवासन पर समयानुकूल निर्णय लेकर दोनों देशों में संबंध सामान्य बनाने का प्रयास किया है. दरअसल, अमेरिका की हालिया यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जमीनी स्तर पर बेहतर कूटनीतिक प्रयास किये.उन्होंने ट्रंप प्रशासन को इस बात को लेकर आश्वस्त किया कि भारत अपने भटके हुए नागरिकों की वैध वापसी के लिये तैयार है. निस्संदेह, भारत ने समझदारी से टकराव टालने का सार्थक प्रयास किया ताकि मोदी-ट्रंप की मुलाकात से पहले दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट न घुले.बहरहाल, एक सवाल यह भी है कि केंद्र और राज्य सरकारें बेईमान ट्रेवलर एजेंटों और मानव तस्करी करने वाले माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है ? दरअसल ऐसे बेईमान ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कार्रवाई की जाए, जो युवाओं को सुनहरे सपने दिखाकर अवैध रूप से अमेरिका व अन्य देशों में भेजते हैं.निस्संदेह, सबसे पहली प्राथमिकता देश की युवा शक्ति को कुशल बनाने तथा रोजगार के आकर्षक अवसर पैदा करना होनी चाहिए. ताकि प्रतिभा पलायन ना हो,वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान कानूनी प्रवासन को सुव्यवस्थित करने का एजेंडा सर्वोपरि होना चाहिए.
डोनाल्ड ट्रंप की दुनिया में उथल-पुथल
