साहसिक बजट, उपभोग आधारित विकास को बढ़ावा देने पर जोर : उद्याेग

नयी दिल्ली 01 फरवरी (वार्ता) उद्योग जगत ने संसद में पेश आम बजट को साहसिक बताया और कहा कि इसमें उपभोग आधारित विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है, जिससे यह मध्यम वर्गीय परिवारों की खपत बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा।

वाणिज्य एवं उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “कर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने से मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उपक्रम (एमएसएमई), पर्यटन और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए की गई पहलों से रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।”

एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने केंद्रीय बजट को एक ‘साहसिक’ कदम बताते हुए कहा कि यह बजट मध्यम वर्गीय परिवारों की खपत बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत पर बनाए रखा है, जो एक संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

श्री नायर ने कहा कि मध्यम वर्गीय उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ बनेगा। बजट में एमएसएमई, स्टार्टअप और निर्यात क्षमताओं को बढ़ाने पर स्पष्ट ध्यान दिया गया है। बढ़ती उपभोग मांग से निवेश को गति मिलेगी, जिससे रोजगार और उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके अलावा, बजट में पर्यटन, कपड़ा, हस्तशिल्प, जूते और खिलौनों जैसे रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को तत्काल प्रोत्साहन देने की बात कही गई है। यह पहल इन क्षेत्रों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और अधिक रोजगार सृजन में मददगार होगी।

बजट में कृषि, ग्रामीण मांग, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और समुद्री उत्पादों को प्राथमिकता दी गई है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी और ग्राम आधारित उद्योगों में नवाचार और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। सरकार द्वारा सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त रखने और टीडीएस/टीसीएस की सीमा एवं स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय आम नागरिकों और छोटे उद्यमियों के लिए जीवन को आसान बनाएगा। सरकार का ध्यान स्वैच्छिक कर अनुपालन को प्रोत्साहित करने और प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर केंद्रित है। सीमा शुल्क नीति को युक्तिसंगत बनाकर आवश्यक कच्चे माल और महत्वपूर्ण खनिजों पर शुल्क में कमी की गई है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।

स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए सरकार ने क्रेडिट गारंटी कवर को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया है। इसी तरह, एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवर 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया है। स्टार्टअप्स में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त योगदान के साथ ‘फंड ऑफ फंड्स’ की घोषणा की है, जो वैकल्पिक निवेश कोषों को प्रोत्साहित करेगा। बजट में किफायती आवास, ग्रामीण महिलाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ठोस प्रतिबद्धता जताई गई है, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ मिलेगा।

इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के बुनियादी ढांचे में सुधार और चिकित्सा शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाने की घोषणा की गई है। इससे मानव संसाधन में सुधार होगा और देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद मिलेगी। एआई के लिए समर्पित संसाधन नवाचार और डिजिटल प्रगति को और तेज़ करेंगे, जिससे भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बन सकेगा।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “केंद्रीय बजट 2025-26 सरकार के ‘बड़े’ और ‘साहसिक’ दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो भारत को एक विकसित राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ाने के साथ-साथ वर्तमान आर्थिक आवश्यकताओं को भी संबोधित करता है। इस बजट में आयकर कटौती, रोजगार सृजन और गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे उपभोग व्यय को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। बजट में संरचनात्मक सुधारों को प्राथमिकता दी गई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता को और मजबूती मिलेगी। हल्के नियामक ढांचे पर जोर देने से भारत एक अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बनेगा। इनके अलावा राज्यों को जीएसडीपी का 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त उधार भत्ता देने का प्रावधान किया गया है, जिससे बिजली सुधार और औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।”

श्री बनर्जी ने कहा कि सरकार ने टैरिफ संरचना के युक्तिकरण और नए आयकर विधेयक की शुरुआत के प्रस्ताव के साथ कर सुधारों को जारी रखने की प्रतिबद्धता दिखाई है। वित्तीय क्षेत्र में नियामक सुधारों से यह क्षेत्र और मजबूत होगा और भारत के दीर्घकालिक विकास को वित्तीय सहायता मिलेगी। शहरी विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का शहरी चुनौती कोष स्थापित किया गया है, जिससे शहरों को आर्थिक गतिविधि के केंद्रों में बदलने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल आर्थिक विकास को गति देने में सहायक होगी।

सीआईआई महानिदेशक ने कहा कि बजट में राजकोषीय सुधारों को प्राथमिकता दी गई है। वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 प्रतिशत रखा गया है, जबकि 2026 के लिए इसे 4.4 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य है। इसके साथ ही ऋण-से-जीडीपी अनुपात को कम करने की योजना बनाई गई है, जिससे भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता और राजकोषीय स्वास्थ्य मजबूत होगा। बजट में मध्यम वर्ग पर कर बोझ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई कर देयता नहीं होगी, जो पहले सात लाख रुपये तक थी। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में उपभोग की हिस्सेदारी लगभग 56 प्रतिशत है लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कुछ सुस्ती देखी गई है। इसलिए, ये कर सुधार खपत को बढ़ाने और आर्थिक विकास को प्रत्यक्ष रूप से गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

ऑटोमोबाइल डीलरों के संगठन फाडा के अध्यक्ष सी. एस. विग्नेश्वर ने कहा, “केंद्रीय बजट एक संतुलित और विकासोन्मुखी बजट है, जो मध्यम वर्ग के खर्च, ग्रामीण समृद्धि और एमएसएमई के सशक्तिकरण पर केंद्रित है। आयकर छूट सीमा को 12 लाख रुपये तक बढ़ाने से दोपहिया, यात्री वाहन और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में सीधे तौर पर वृद्धि होगी, क्योंकि उपभोक्ताओं के पास अपने वाहनों को अपग्रेड करने के लिए अधिक खर्च योग्य आय होगी।”

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए धन धन्य कृषि योजना, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा और किसान क्रेडिट कार्ड ऋण सीमा विस्तार जैसे कदम उठाए गए हैं। इससे ट्रैक्टर, छोटे वाणिज्यिक वाहन और दोपहिया वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ एमएसएमई को इस बजट में उच्च ऋण सीमा और स्टार्टअप्स के लिए बढ़े हुए फंड-ऑफ-फंड जैसी सुविधाओं से लाभ मिलेगा। ये सुधार ऑटो डीलरशिप और बेड़े के व्यवसायों के विस्तार को भी प्रोत्साहित करेंगे, जिससे इस क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।

श्री विग्नेश्वर ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीलक (ईवी) क्षेत्र के लिए यह बजट विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, सौर ऊर्जा, ईवी बैटरी और स्वच्छ गतिशीलता बुनियादी ढांचे के लिए प्रोत्साहन ईवी क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। ये सुधार भारत को वैश्विक स्तर पर संधारणीय गतिशीलता के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत कदम हैं। इसके अलावा बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) वृद्धि से ऑटो खरीददारों को अधिक प्रतिस्पर्धी और नवीन वित्तपोषण विकल्प मिलेंगे, जिससे ऑटोमोबाइल की मांग में और वृद्धि होगी।

ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम के अध्यक्ष शैलेश चंद्र ने केंद्रीय बजट का स्वागत करते हुए कहा कि यह दीर्घकालिक सतत आर्थिक विकास पर केंद्रित है। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण समृद्धि और कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देने और व्यक्तिगत आयकर में सुधारों को ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए सकारात्मक बताया, जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऑटो उद्योग प्रधानमंत्री की सतत गतिशीलता के दृष्टिकोण के अनुरूप स्वच्छ पावरट्रेन की ओर बढ़ रहा है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन से उद्योग को विशेष लाभ होगा क्योंकि यह बैटरी, मोटर और नियंत्रकों के लिए स्वच्छ तकनीक विनिर्माण को समर्थन देगा। साथ ही महत्वपूर्ण खनिजों (जैसे कोबाल्ट, सीसा, जस्ता आदि), लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप और 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को सीमा शुल्क से छूट देने से देश में मजबूत ईवी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा निर्यात संवर्धन मिशन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण को बढ़ावा देने की पहल भारतीय निर्माताओं को वैश्विक बाजार में अपने पदचिह्न बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने नियामक सुधारों के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने के सरकार के फैसले की सराहना की, जिसका उद्देश्य नियमों, प्रमाणन, लाइसेंस और अनुमतियों की समीक्षा करना है। इससे निश्चित रूप से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी होगी और उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी।

बैक्सी मोबिलिटी के उपाध्यक्ष (बिक्री और विपणन संचालन) नवीथ मेनन ने बजट को स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक ईवी निर्माण के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण सामग्रियों पर मूल सीमा शुल्क को समाप्त करने का सरकार का निर्णय पूरे देश में तेजी से ईवी अपनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इसके अलावा, बजट में लिथियम-आयन बैटरी को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की गई हैं, जिससे ईवी क्षेत्र में बदलाव को और गति मिलेगी। लिथियम-आयन बैटरी निर्माण के लिए कर छूट स्थानीय उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक प्रभावी कदम है, जो भारत को ईवी निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगा।

सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने केंद्रीय बजट को विकासोन्मुख, सुधार केंद्रित और राजकोषीय रूप से विवेकपूर्ण करार दिया और कहा कि यह बजट अर्थव्यवस्था और समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को पूरा करते हुए समावेशी विकास को बढ़ावा देगा और उपभोग आधारित विकास के एक सकारात्मक चक्र को शुरू करेगा। इस बजट की सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में से एक व्यक्तिगत आयकर में कमी है, जो उपभोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।

उन्होंने कहा कि 100 जिला आकांक्षात्मक कृषि कार्यक्रम की घोषणा किसानों की उत्पादकता और लचीलेपन को बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें बेहतर ऋण पहुंच प्रदान करेगी। इससे ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय व आजीविका में सुधार होगा। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में सुधार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और भारत को खाद्य आपूर्ति का वैश्विक केंद्र बनाने में सहायक होगा। बजट में रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया गया है। एमएसएमई और रोजगार-गहन विनिर्माण क्षेत्रों को बड़े प्रोत्साहन दिए गए हैं। फुटवियर और चमड़ा उद्योग के लिए घोषित फोकस उत्पाद योजना से 22 लाख नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। साथ ही, खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना भारत को वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने में मदद करेगी।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत) सचिन जैन ने केंद्रीय बजट को स्वर्ण उद्योग के लिए अनुकूल बताया और कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित बजट में डिस्पोजेबल आय बढ़ाने, खर्च को प्रोत्साहित करने और आर्थिक विकास को गति देने पर जोर दिया गया है, जिससे स्वर्ण और आभूषण उद्योग को सीधा लाभ मिलेगा। व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) को कुछ सीमाओं से ऊपर हटाने का निर्णय लिया गया है, जिससे अनुपालन बोझ कम होगा।

बजट में स्वर्ण उद्योग के विकास को समर्थन देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनमें निर्यात संवर्धन मिशन का विस्तार, “मेक इन इंडिया” को गति देने वाला राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ‘भारत ट्रेडनेट’ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण शामिल है। ये पहल भारतीय स्वर्ण उद्योग को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत होने के अवसर बढ़ाने में मदद करेंगी।

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष विपुल शाह ने केंद्रीय बजट का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे ले जाने वाला बजट है। उन्होंने विशेष रूप से निर्यात को विकास के चौथे इंजन के रूप में मान्यता देने और केंद्रीय वाणिज्य, वित्त और एमएसएमई मंत्रालयों के सहयोग से नए निर्यात संवर्धन मिशन शुरू करने के कदम की सराहना की। यह मिशन एमएसएमई को निर्यात में गैर-टैरिफ बाधाओं से निपटने में सहायता करेगा और सीमा पार ऋण व वित्तीय समर्थन तक उनकी पहुंच को आसान बनाएगा। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ‘भारत ट्रेडनेट’ (बीटीएन) की स्थापना व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तीय समाधान को डिजिटल रूप से सक्षम बनाएगी।

श्री शाह ने बजट में अध्याय 71 में नए टैरिफ आइटम बनाने के प्रस्ताव की भी सराहना की, जिससे कीमती धातुओं का बेहतर वर्गीकरण किया जा सकेगा। इससे प्लेटिनम मिश्र धातुओं के अनुचित आयात शुल्क छूट के मुद्दे का समाधान होगा। उन्होंने एमएसएमई वर्गीकरण मानदंडों में किए गए संशोधन को भी सकारात्मक बताया, जिससे 250 करोड़ से 500 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले एमएसएमई को ऋण गारंटी कवर का विस्तार मिलेगा और अगले पांच वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण प्राप्त होगा। उन्होंने रत्न एवं आभूषण उत्पादों पर शुल्क स्थिर रखने के फैसले को व्यापार करने में आसानी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। प्लैटिनम निष्कर्षों पर मूल सीमा शुल्क दर को 25 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने से उपभोक्ताओं के लिए नए उत्पाद सुलभ होंगे और किफायती आभूषणों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, सरकार द्वारा राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और राष्ट्रीय उत्कृष्टता कौशल केंद्रों की स्थापना ‘मेक फॉर इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ को प्रोत्साहित करेगी, जिससे इस क्षेत्र में उत्पादन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी।

भारतीय निर्यातकों के परिसंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने केंद्रीय बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह बजट भारत के विदेशी व्यापार क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष रूप से निर्यात को बढ़ावा देने, विनिर्माण विकास में तेजी लाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कई रणनीतिक पहल की गई हैं। इन प्रयासों से भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होने और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाने, निर्यातकों को ऋण तक सुगम पहुंच देने और विदेशी बाजारों में गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए एक समर्पित निर्यात संवर्धन मिशन की घोषणा का स्वागत किया। इस पहल से विशेष रूप से एमएसएमई को लाभ होगा, जो भारत के निर्यात परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बंदरगाह आधुनिकीकरण, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल व्यापार प्लेटफार्मों में निवेश से लेन-देन की लागत में कमी आएगी और सीमा पार व्यापार की दक्षता में सुधार होगा।

श्री कुमार ने बजट में घोषित सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के सरलीकरण को व्यापार करने में आसानी बढ़ाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को जारी रखने से निवेश आकर्षित होगा, घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ेगी और भारतीय उद्योग वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर एकीकृत हो सकेंगे। रेलवे, सड़क और नवीकरणीय ऊर्जा सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बढ़ा हुआ निवेश औद्योगिक विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा और व्यापार के लिए कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा।

ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एकमा) की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, “केंद्रीय बजट 2025-26 दूरदर्शी और विकास-केंद्रित है, जो भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने और स्वच्छ मोबिलिटी समाधानों में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। एमएसएमई, नवाचार, निर्यात और आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करने से ऑटो कंपोनेंट उद्योग को एक मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, व्यक्तिगत आयकर के प्रस्तावों से लोगों के हाथों में अधिक पैसा आएगा, जिससे खपत बढ़ेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”

स्टार एयर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिमरन सिंह तिवाना ने सरकार द्वारा घोषित संशोधित उड़ान योजना का स्वागत किया है, जिसके तहत देशभर में 120 नए गंतव्यों को जोड़ा जाएगा। यह पहल टियर-2 और टियर-3 शहरों को सीधे शहरी केंद्रों से जोड़ने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे हवाई यात्रा अधिक सुलभ और किफायती होगी। इस योजना के तहत संशोधित कराधान प्रणाली से इन उभरते क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है। बेहतर हवाई संपर्क न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी मजबूती देगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा और पिछड़े क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करेगा।

जॉय पर्सनल केयर के सह-संस्थापक और अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने केंद्रीय बजट पर कहा कि बजट उपभोक्ता की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने पर रणनीतिक रूप से ध्यान केंद्रित करता है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। आयकर सुधारों के माध्यम से उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल सहित एफएमसीजी क्षेत्र में मांग बढ़ेगी। उन्होंने बजट में समावेशी विकास पर जोर देने का स्वागत किया, जिसमें वंचित समूहों, युवाओं, किसानों और महिलाओं का समर्थन करने के प्रयास किए गए हैं। यह कदम क्रय शक्ति को मजबूत करेगा और बाजार की मांग में वृद्धि करेगा।

इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस के अंतरिम अध्यक्ष विनायम वालिम्बे ने केंद्रीय बजट में बैटरी विनिर्माण और रीसाइक्लिंग उद्योग के लिए की गई पहल और सहायता का स्वागत किया और कहा कि इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस इन क्षेत्रों के विकास के लिए पिछले 10 वर्षों से काम कर रहा है और अब यह देखना उत्साहजनक है कि उनकी सिफारिशों को सकारात्मक रूप से माना गया है।

एसीएमई समूह के अध्यक्ष मनोज उपाध्याय ने कहा कि यह बजट भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को गति देने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सौर और पवन परियोजनाओं के लिए बढ़ी हुई फंडिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के लिए निरंतर प्रयासों के साथ अक्षय ऊर्जा पर महत्वपूर्ण ध्यान केंद्रित किया गया है, जो एक स्थायी और आत्मनिर्भर ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगा। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दी जा रही प्रोत्साहन योजनाएं भारत की स्थिति को वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा नेता के रूप में और मजबूत करेंगी।

एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटेरियल्स के प्रबंध निदेशक विक्रम हांडा ने कहा कि केंद्रीय बजट का स्वच्छ प्रौद्योगिकी पर स्पष्ट ध्यान, विशेष रूप से स्वच्छ प्रौद्योगिकी मिशन का शुभारंभ, अविश्वसनीय रूप से उत्साहजनक है। ईवी और बैटरी प्रौद्योगिकियों पर सरकार का जोर भारत की स्थायी गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की महत्वाकांक्षा के साथ पूरी तरह मेल खाता है।

लोहुम के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजत वर्मा ने कहा कि 2025 का बजट भारत की स्वच्छ ऊर्जा संप्रभुता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था नेतृत्व की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। घरेलू विनिर्माण और महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण के लिए सरकार की रणनीतिक दृष्टि हमारे स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने में दूरदर्शिता को दर्शाती है। लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, कोबाल्ट पाउडर और अन्य महत्वपूर्ण खनिज अपशिष्टों पर आयात शुल्क समाप्त करने से इस क्षेत्र में अभूतपूर्व अवसर खुलते हैं।

आईसीएसआई के अध्यक्ष धनंजय शुक्ला ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह बजट नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और आम जनता के बीच निरंतर संवाद का प्रतिबिंब है और सभी के समावेशी विकास और प्रगति को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। सरकार का यह दृष्टिकोण ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईसीएसआई सरकार के इस विजन को साकार करने में अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन देता है और सतत आर्थिक वृद्धि एवं सुशासन को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि सरकार ने देश के सभी राज्यों के किसानों का बजट में ध्यान रखा है। पहली बार बजट की शुरुआत कृषि व किसान से हुई है। चूंकि कृषि से जुड़ी बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। उस दृष्टि से बजट में गांवों व कृषि को प्राथमिकता में रखने पर हम देश की वित्त मंत्री को धन्यवाद देते हैं। भारतीय किसान संघ ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने की मांग की थी जिसे बजट में तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया गया है। इससे देश के सभी किसानों को लाभ होगा और निश्चित तौर पर खाद्यान्न उत्पादकता में वृद्धि दर्ज होगी। प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के माध्यम से सरकार देश के कम उत्पादकता वाले 100 जिलों के लिए विकासशील जिला कार्यक्रम के तहत कार्य करने वाली है जिससे इन कमजोर जिलों में कृषि रोजगार के अवसरों में वृद्धि से करोड़ों किसानों को लाभ मिलेगा।

धानुका एग्रीटेक के अध्यक्ष आर. जी. अग्रवाल ने कहा, “हम भारत को दुनिया का खाद्यान्न भंडार बनाने की सरकार की पहल की अत्यधिक सराहना करते हैं। धन धनिया कृषि योजना के तहत 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में 1.7 करोड़ किसानों को समर्थन देना ग्रामीण समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। खाद्य तेल मिशन किसानों को नाफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों के साथ खरीद समझौते करने में सक्षम बनाएगा, जिससे मूल्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी, घरेलू तिलहन उत्पादन बढ़ेगा और भारत की निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी। बढ़ती खपत के अनुरूप सब्जी उत्पादन बढ़ाने का सरकार का कदम भी बेहद सराहनीय है, जिससे कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी।”

हिंदुस्तान पावर के अध्यक्ष रतुल पुरी ने कहा, “मैं केंद्रीय बजट में भारत में ऊर्जा परिवर्तन को तेज करने और वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रगतिशील घोषणाओं की सराहना करता हूं। स्वच्छ तकनीकी उत्पादन जैसे सौर पीवी सैल, ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोलाइज़र और ग्रिड-स्केल बैटरी में ‘मेक इन इंडिया’ इकोसिस्टम की सृजना से नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और ग्रिड स्थिरता बढ़ेगी तथा बिजली वितरण सुधारों के लिए प्रोत्साहन से डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनियों के कार्य क्षमता में सुधार और घाटे में कमी आएगी।”

रियल्टी क्षेत्र की कंपनी पुरवणकारा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष पुरवणकारा ने कहा कि केंद्रीय बजट रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक मजबूत और प्रगतिशील बजट है, जो आर्थिक विकास और शहरी परिवर्तन को बढ़ावा देगा। आयकर स्लैब को युक्तिसंगत बनाना, छूट सीमा को बढ़ाकर ₹12 लाख करना, कर ढांचे में संशोधन करके ₹24 लाख तक करना और किराये की टीडीएस सीमा को बढ़ाना डिस्पोजेबल आय को प्रोत्साहित करेगा। दूसरे स्व-कब्जे वाले घर के लिए काल्पनिक किराए पर कर छूट एक महत्वपूर्ण राहत है, जो रियल एस्टेट में निवेश को बढ़ावा देगी। उच्च मानक कटौती के साथ, ये उपाय विशेष रूप से किफायती और मध्यम-खंड श्रेणियों में आवास की मांग को बढ़ाएंगे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के समूह प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोतीलाल ओसवाल ने केंद्रीय बजट को संतुलित और विकासोन्मुखी बताया और कहा कि यह आर्थिक विकास और राजकोषीय विवेक के बीच अच्छा संतुलन बनाए रखता है। राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत के दीर्घकालिक लक्ष्य से नीचे 4.4 प्रतिशत पर सीमित रखना अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। बजट में ग्रामीण किसानों की कम आय जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे निकट और दीर्घकालिक रूप से खपत को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।

तेजी मंदी के उपाध्यक्ष (शोध) राज व्यास ने केंद्रीय बजट को एक संतुलित और मध्यम वर्ग के अनुकूल बजट बताया और कहा कि मुद्रास्फीति और अन्य देरी के कारण 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय लक्ष्य पूरी तरह से प्राप्त नहीं हुए लेकिन वित्त वर्ष 2026 के लिए 11.2 लाख करोड़ रुपये के नए लक्ष्य में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो एक सकारात्मक संकेत है। कुल मिलाकर बजट में आर्थिक विकास और कर राहत के बीच संतुलन स्थापित किया गया है, जिसमें आयकर छूट एक प्रमुख आकर्षण है, जिससे लाखों लोगों की खर्च योग्य आय में वृद्धि होगी।

मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ “निश भट्ट ने बजट को विकास को गति देने वाला करार दिया और कहा कि वित्त मंत्री ने कर और अन्य कानूनों को सरल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है, जिससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा मिलेगा। टीडीएस और टीसीएस नियमों को सरल बनाने से लेकर बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने तक, सरकार के सुधारवादी दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। करदाताओं को बिना किसी शर्त के दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को शून्य मानने की अनुमति देना एक बड़ी राहत है।

स्मॉलकेस मैनेजर और क्वांटस रिसर्च के संस्थापक और सीईओ कार्तिक जोनागदला ने कहा कि आयकर स्लैब में संशोधन के माध्यम से कर राहत दी गई है, जिससे 12.75 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को शून्य प्रतिशत आयकर दर का लाभ मिलेगा और 24 लाख रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए दरें क्रमशः बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएंगी। इस बदलाव से करदाताओं के एक बड़े हिस्से को फायदा होगा, जिससे डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी। इस बदलाव से अनुमानित कुल कर राजस्व लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये बढ़ने का अनुमान है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा और कृषि में लक्षित छूट भी शामिल हैं।

नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने केंद्रीय बजट को धीमी जीडीपी वृद्धि, सहनीय मुद्रास्फीति दर और भारतीय रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर के बावजूद पेश किया गया एक संतुलित बजट बताया और कहा कि बजट का मुख्य ध्यान डिस्पोजेबल आय बनाने और खपत को बढ़ावा देने पर केंद्रित था। विशेष रूप से, मध्यम वर्ग को आयकर राहत दी गई है, जिसमें 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा, जिससे डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी और खपत में वृद्धि होगी।

अर्केड डेवलपर्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अमित जैन ने केंद्रीय बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की सराहना की और कहा कि करदाताओं को दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों का दावा करने की अनुमति देना और किराए पर टीडीएस सीमा को 2.4 लाख से बढ़ाकर छह लाख रुपये करना रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कदम है।

अजमेरा रियल्टी एंड इंफ्रा इंडिया लिमिटेड के निदेशक धवल अजमेरा ने केंद्रीय बजट को तरलता पर ध्यान केंद्रित करने वाला और बुनियादी ढांचे तथा रियल एस्टेट क्षेत्र पर मजबूत फोकस बनाए रखने वाला बताया और कहा कि कर स्लैब युक्तिकरण, बढ़ी हुई डिस्पोजेबल आय और कम अनुपालन बोझ के साथ यह बजट आम आदमी के हाथों में अधिक पैसा डालता है, जिससे खर्च करने की इच्छा बढ़ेगी और निवेश पैटर्न को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि 11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय से बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आएगी और शहरी चुनौती कोष शहरी परिवर्तन को मजबूत करने के साथ विकास को बढ़ावा देगा और रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए नए सूक्ष्म बाजारों का निर्माण करेगा।

एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक अगेंद्र कुमार ने केंद्रीय बजट में भू-स्थानिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किए गए कई महत्वपूर्ण कदमों की सराहना की और विशेष रूप से राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की स्थापना को महत्वपूर्ण बताया, जिसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण, शहरी नियोजन और अवसंरचना डिज़ाइन को सुविधाजनक बनाना है। उन्होंने कहा कि यह मिशन सरकार, निजी क्षेत्र और उद्योग के उपयोगकर्ताओं के लिए एक अच्छा आधारभूत डेटा प्रदान करेगा, जो सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। कृषि, प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा उत्पादन, वितरण, ग्रामीण और शहरी पहल और शासन जैसे क्षेत्रों में उत्पादकता में सुधार के लिए यह कदम सार्थक प्रगति को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, अनुसंधान और विकास में निवेश से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

रुकम कैपिटल की संस्थापक और प्रबंध भागीदार अर्चना जहागीरदार ने बजट में स्टार्टअप्स के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) द्वारा रखी गई प्रतिभूतियों को पूंजीगत संपत्ति के रूप में मान्यता देने के निर्णय को सराहा, जो सीएटी I और II के मामलों को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिभूतियों से होने वाले लाभ को पूंजीगत लाभ माना जाए और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे से बाहर रखा जाए। उन्होंने स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपये के नए दौर की शुरुआत को एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के कुलपति डॉ. संजय गुप्ता ने बजट में एआई और कौशल उन्नयन की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने की सराहना की। उन्होंने एआई में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना को एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो विशेष रूप से डिजाइन और रचनात्मक क्षेत्रों को लाभान्वित करेगा, उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और ‘विकसित भारत’ की दिशा में प्रगति को बढ़ावा देगा।

फिक्की एफएलओ की राष्ट्रीय अध्यक्ष जयश्री दास वर्मा ने बजट में सरकार के समाज के कम पहचाने गए वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं और हाशिए के समुदायों को सशक्त बनाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने एससी-एसटी समुदायों की पांच लाख महिलाओं के लिए टर्म लोन की शुरुआत को वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो उद्यमिता के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है। इसके अलावा उन्होंने सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रम की सराहना की, जो कमजोर बच्चों, माताओं और किशोरियों के पोषण में सुधार लाएगा, और इससे स्वस्थ भावी पीढ़ियों की नींव रखी जाएगी।

भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. भट्ट ने बजट में राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की घोषणा का स्वागत किया, जो सरकार की अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र की डाउनस्ट्रीम क्षमताओं का उपयोग करने के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह मिशन भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के डिजाइन को सुविधाजनक बनाएगा। यह दिखाता है कि सरकार और उद्योग दोनों ने इन उभरती प्रौद्योगिकियों के महत्व को समझा है।

ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रबंध निदेशक ए. गुरुराज ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि इसमें कर में छूट और कृषि समुदाय को सहायता देने के उपायों ने बड़ी आबादी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए सही प्रोत्साहन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि किसानों के हाथों में अधिक धन होने से नई तकनीकों जैसे ड्रोन को अपनाने की उनकी क्षमता में सुधार होगा, जिससे बाजार में तेजी आएगी।

सुहोरा टेक्नोलॉजीज के सीईओ कृष्णु आचार्य ने बजट में भू-स्थानिक सेवाओं पर जोर देने के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया और राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की शुरुआत का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य देश भर में भूमि अभिलेखों को आधुनिक बनाना है। उन्होंने कहा कि इस पहल से भू-स्थानिक सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा और बाजार में इसके विस्तार की संभावना है।

इमामी लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि यह एक सुव्यवस्थित और प्रगतिशील बजट है, जो सरकार के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इसमें समावेशी विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें कृषि, खेती, महिला सशक्तिकरण और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है। पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर सराहनीय है। इसके अलावा, ‘कारोबार में आसानी’ को बढ़ाने के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करने, अनुपालन को सुव्यवस्थित करने आदि के लिए सरकार के प्रयास सराहनीय हैं।

एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा कि यह बजट आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी कदमों पर आधारित है, जिसमें उपभोग को बढ़ावा देने और राजकोषीय समेकन के बीच संतुलन बनाए रखने पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर जोर दिया है और करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा देकर उपभोग को बढ़ावा देने का कदम सही दिशा में है।

सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) के अध्यक्ष नीरज अखोरी ने कहा, “बजट भारत के विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा को और सशक्त बनाता है। सरकार द्वारा घोषित विभिन्न पहलों ने लोगों की आकांक्षाओं और देश की आर्थिक वृद्धि की भविष्य की जरूरतों के बीच सही संतुलन बनाए रखा है। राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ी हुई निवेश प्राथमिकता सीमेंट क्षेत्र के विकास के लिए नए अवसर और रास्ते खोलती है। हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने की सराहना करते हैं। साथ ही हम राष्ट्र की प्रगति में साझेदार बनने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेंगे।”

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