एमपी पीएससी सहित अन्य से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

संशोधित नियम की वैधानिकता कटघरे में
जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा उस संशोधित नियम की वैधानिकता को चुनौती दी गई है जिसके तहत केवल एक सत्र विशेष के अतिथि विद्वानों को आयु सीमा व अनुभव के अंक का लाभ दिया गया है। जस्टिस शील नागू व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की खंडपीठ ने एमपीपीएससी व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।दमोह निवासी मोहम्मद आरिफ खान की ओर से यह मामला दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि पीएससी ने शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक भर्ती के लिए 30 दिसंबर 2022 को विज्ञापन जारी किया था। इसकी परीक्षा 9 जून 2024 से शुरू होंगी।

इसके ठीक एक दिन पहले 29 दिसंबर को मप्र एजुकेशनल सर्विस रिक्रूटमेंट रूल्स 1990 के नियम आठ में संशोधन कर दिया। इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2019-20 में शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत गेस्ट फैकल्टी को आयुसीमा व अनुभव के अंक का लाभ दिया जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह अन्य समान रूप से कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों के साथ भेदभाव है। यह प्रश्नचिन्ह भी लगाया गया कि विज्ञापन जारी करने से मात्र एक दिन पहले यह संशोधन क्यों किया गया। इसके पहले असंशोधित नियम में कभी भी गेस्ट फैकल्टीज के लिए यह वर्ग नहीं बनाया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी। न्यायालय ने पीएससी को निर्देशित किया याचिकाकर्ता

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