- कर्पूरी जी ने गरीब व पिछड़ों की सेवा में नया इतिहास रचा- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान
- उपराष्ट्रपति, बिहार के राज्यपाल, केंद्रीय राज्य मंत्रियों सहित गणमान्यजन हुए शामिल
समस्तीपुर (बिहार)/नई दिल्ली, 24 जनवरी 2025, भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर जी की 101वीं जयंती के अवसर पर समस्तीपुर (बिहार) में आज गरिमामय कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, उनकी धमर्पत्नी श्रीमती सुदेश धनखड़, बिहार के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, राज्य सभा के उप सभापति श्री हरिवंश, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, कर्पूरी जी के बेटे व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय सहित गणमान्यजन शामिल हुए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन अपने लिए नहीं, बल्कि गरीबों, दीन-दुखियों, किसानों के लिए था। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि कर्पूरी जी ने गरीब और पिछड़ों की सेवा में नया इतिहास रचा है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्पूरी ठाकुर जी का पुण्य स्मरण किया और उन्हें अपनी ओर से आदरांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अपने लिए तो कीट-पतंगे और पशु पक्षी भी जीते हैं। अगर अपने लिए जीये तो क्या जीये? जीता वही है जो देश, जनता और दूसरों के लिए जीता है। कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन भी अपने लिए नहीं था, जनता के लिए था, गरीबों के लिए था, दीन-दुखियों के लिए था, किसानों के लिए था।
केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह ने काव्यात्मक अंदाज में कहा- है समय नदी की धार, जिसमें सब बह जाया करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं। कर्पूरी जी ने गरीब और पिछड़ों की सेवा में नया इतिहास रचा। मैं कर्पूरीग्राम की धरती को प्रणाम करता हूं, जिसने कर्पूरी जी को जन्म दिया। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि कर्पूरी जी का नारा था- 100 में 90 शोषित हैं, शोषितों ने ललकारा है, धन-धरती और राजपाठ पर 90 भाग हमारा है। अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग-पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो। श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछड़ों को आरक्षण कर्पूरी जी ने दिया था, मैं उनको प्रणाम करता हूं।
कर्पूरी जी के श्रेष्ठ कार्यों को याद करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शिक्षा के मामले में गरीबों को बराबर अधिकार देने के लिए मैट्रिक तक फ्री शिक्षा देने का फैसला कर्पूरी बाबू ने लिया था। वो अपनी भाषा में शिक्षा देने के पक्षधर थे। मैं अंग्रेजी का विरोधी नहीं हूं, लेकिन गांवों में बच्चे अपनी मातृभाषा में अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते हैं। कर्पूरी जी ने अंग्रेजी की बाध्यता मैट्रिक में खत्म की। ऐसे कई प्रेरक प्रसंग उनके जीवन के हैं। श्री शिवराज सिंह ने बताया कि कर्पूरी बाबू जब मुख्यमंत्री थे, तब श्री जयप्रकाश नारायण जी के जन्मदिन पर कार्यक्रम में उनका कुर्ता फटा था, तब चंद्रशेखर जी ने कुर्ते के लिए दान देने का सबसे आग्रह किया। उन्होंने वो राशि भी सीएम राहत कोष में दान कर दी। मैं उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। उन्होंने, सभी से कर्पूरी जी के दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
बाद में, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह ने पटना स्थित सचिवालय में, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के आगामी कार्यक्रम को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की और होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर समीक्षा की तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में बिहार उप मुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी, मंत्री श्री मंगल पांडे सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं राज्य-केंद्र के कृषि एवं किसान कल्याण के अधिकारी मौजूद थे।