संवेदनशीलता और समन्वय की नई पहल
भोपाल, 21 जनवरी. मध्यप्रदेश पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा पुलिस प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (पीटीआरआई), जहांगीराबाद में विक्टिम सपोर्ट इनिशिएटिव अंडर पोक्सो एक्ट पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी पवन श्रीवास्तव ने किया. कार्यक्रम में पीएसओ टू डीजीपी विनीत कपूर, प्रिंसिपल जज श्रुति जैन, संयुक्त संचालक महिला बाल विकास विभाग अमिताभ अवस्थी, एआईजी सीआईडी धनंजय शाह, एसजेपीयू पांचों जिलों के प्रभारी, महिला सेल के डीएसपी/नोडल अधिकारी, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य और इंदौर, भोपाल, जबलपुर, कटनी, उज्जैन व ग्वालियर से सीआरपीसी से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे. साथ ही लोक अभियोजन विभाग के प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक निदेशक और न्यायालय से संबंधित अन्य विशेषज्ञों ने भी भाग लिया. विक्टिम सपोर्ट प्रोग्राम के लिए काम करने वाली तीन प्रमुख गैर सरकारी संस्थाओं में आवास से प्रशांत दुबे, सीएसए से दीपेश चौकसे और आईआरएमई से अर्चना सहाय के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे. आभार प्रदर्शन एआईजी आदित्य प्रताप सिंह ने किया. नाबालिगों की रक्षा करता है पोक्सो पोक्सो एक्ट, जो 19 जून 2012 को लागू हुआ, बच्चों को यौन शोषण, उत्पीडऩ और अश्लीलता जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है. यह एक्ट नाबालिगों (18 वर्ष से कम आयु के बच्चों) के अधिकारों की रक्षा करता है और यौन अपराधों के मामलों में तेज और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करता है. कार्यशाला में एडीजी सीआईडी पवन श्रीवास्तव ने स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म का जिक्र करते हुऐ बताया कि कैसे कठिन परिस्थितियों और संघर्षों से प्रेरणा लेकर बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. यह जीवन में चुनौतियों का साहस से सामना करने का संदेश देती है. उन्होंने न्याय प्रणाली में सुधार पर चर्चा करते हुए नए कानूनों के तहत चार्जशीट 60 दिनों में दाखिल करने और लंबित मामलों को तीन वर्षों में निपटाने संबंधी जानकारी दी. साथ ही कहा कि तकनीकी सुधारों से जांच अधिकारी डिजिटल माध्यम से पेश हो सकते हैं, जिससे समय और संसाधन बचेंगे. यह सुधार न्याय प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है. पॉक्सो एक्ट के तहत पीडि़त बच्चों को कानूनी, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के उपायों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि सभी पूरी संवेदनशीलता और समन्वय से कार्य करें तथा हर माह एक सफलता की कहानी उपलब्ध कराएं ताकि व्यापक जनजागृति लाई जा सके. अजीम प्रेमजी फाउंडेसन की सराहना कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीएसओ टू डीजीपी विनीत कपूर ने कहा कि कानूनी प्रक्रियाओं के दौरान अक्सर बच्चों को एक कठिन उपसंस्कृति से गुजरना पड़ता है, जिससे उनका पुन: पीडऩ होता है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम विवेचना को प्रभावी और संवेदनशील बनाएं ताकि बच्चों को सहयोग और संरक्षण मिले. उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और अन्य संस्थानों द्वारा संचालित पायलट प्रोजेक्ट की सराहना की, जो भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और कटनी जिलों में सपोर्ट पर्सन्स के लिए एकीकृत रणनीति के तहत कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा, सपोर्ट पर्सन्स की सहायता से बाल पीडि़तों को बेहतर सहयोग मिलेगा, जिससे उनकी पुनर्वास प्रक्रिया में सुधार होगा. प्रतिभागियों ने झासा किये अनुभव इस कार्यशाला में मेडिकल परीक्षण और रिपोर्टिंग में आने वाली चुनौतियों को हल करने, बच्चों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए उन्हें न्याय दिलाने और विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई. कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया. यह कार्यशाला मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा बच्चों के सर्वोत्तम हितों की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.