नियम आधारित व्यवस्था में उथल पुथल को देखते हुए ठोस प्रतिक्रिया जरूरी: राजनाथ

नियम आधारित व्यवस्था में उथल पुथल को देखते हुए ठोस प्रतिक्रिया जरूरी: राजनाथ

नयी दिल्ली 17 जनवरी (वार्ता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में उथल-पुथल के मद्देनजर भारत की आक्रामक और रक्षात्मक प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है।

श्री सिंह ने शुक्रवार को यहां ‘ नेवेल सिविलयन इयर ’ के संबंध में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तनावपूर्ण भू-राजनीतिक सुरक्षा परिदृश्य के कारण सशस्त्र बलों के लिए बढ़ती जटिलताओं पर प्रकाश डाला और जल्द से जल्द देश की महत्वपूर्ण क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा , “अगर हम रक्षा और सुरक्षा के नजरिए से पूरे दशक का आकलन करें, तो हम कह सकते हैं कि यह एक अस्थिर दशक रहा है। हम दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष और युद्ध देख रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपनी सुरक्षा के लिए योजना, संसाधन और बजट की आवश्यकता है। परामर्शी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। हमें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के तरीके पर सभी हितधारकों से इनपुट लेने की जरूरत है।”

श्री सिंह ने कहा कि सेनाओं को बदलते समय के अनुसार सुसज्जित और तैयार रहना चाहिए। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि सेना एक बड़े जनादेश और जटिल संरचना के साथ आगे बढ़ रही है और असैनिक कार्यबल “बिना वर्दी वाले सैनिक” एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे सैनिकों को महत्वपूर्ण ताकत प्रदान करने के लिए पर्दे के पीछे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि देशभक्ति, वीरता और अनुशासन सैनिकों को देश को खतरों और चुनौतियों से बचाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में मदद करते हैं और असैनिक कार्यबल को सुरक्षा बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने के लिए इन मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सेवा के व्यापक परिप्रेक्ष्य में, प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक बिना वर्दी वाला सैनिक है और प्रत्येक सैनिक वर्दी में नागरिक है।” भारत की रणनीतिक स्थिति और हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए श्री सिंह ने नौसेना को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और इसे आज के समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने हाल ही में मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा भारत में निर्मित तीन विश्व स्तरीय युद्धपोतों – आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर के जलावतरण का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सभी हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने इन युद्धपोतों को भारत के सशक्तीकरण का प्रतीक बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “ भारत की आर्थिक समृद्धि समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। इसलिए, हमारे प्रादेशिक जल की रक्षा करना, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और समुद्री मार्गों, जो हमारे समुद्री राजमार्ग हैं, को सुरक्षित रखना आवश्यक है। हाल के वर्षों में, प्रमुख नौसैनिक शक्तियों ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति कम कर दी है, जबकि भारतीय नौसेना ने इसे बढ़ाया है। अदन की खाड़ी, लाल सागर और पूर्वी अफ्रीकी देशों से सटे समुद्री क्षेत्रों में खतरों के बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए, भारतीय नौसेना अपनी उपस्थिति को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। ”

श्री सिंह ने साइबर सुरक्षा को समुद्री सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए कहा कि साइबर हमलों की अनदेखी करना हानिकारक साबित हो सकता है। उन्होंने सशस्त्र बलों में साइबर सुरक्षा पर विशेष जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

रक्षा मंत्री ने राष्ट्र की सेवा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के योगदान को मान्यता देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, “ किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यही वह विचार है जिसके साथ हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अगर हम विशेष रूप से भारतीय नौसेना की बात करें, तो हमने सिविलयन और वर्दीधारी कर्मचारियों को समान वरीयता दी है।”

श्री सिंह ने सिविलियन कर्मचारियों के कल्याण के लिए नौसेना की पहलों को सूचीबद्ध किया, जिसमें बीमा योजना भी शामिल है जो कर्मचारियों और उनके परिवारों को वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी, साथ ही उन्होंने कहा कि हर भारतीय उनके साथ खड़ा है। रक्षा मंत्री ने सिविलियन कर्मचारियों से नवीनतम तकनीकी प्रगति के साथ बने रहने और 2047 तक प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संयुक्त प्रयासों से राष्ट्र भविष्य की चुनौतियों से निपटने और एक विकसित राष्ट्र बनने में सक्षम होगा। हमारा लक्ष्य ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के साथ काम करना है। इसे केवल विभाग या संगठन के स्तर से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। अगर लोग मिलकर काम करेंगे तो चाहे वे किसी भी संगठन से जुड़े हों, वे देश के बड़े लक्ष्य के लिए काम करेंगे। ‘संपूर्ण सरकार’ के दृष्टिकोण से आगे बढ़कर, हमें ‘संपूर्ण जनता’ के दृष्टिकोण से काम करना चाहिए। साथ मिलकर हम न केवल सामरिक दृष्टि से भारत को मजबूत करेंगे, बल्कि इसके समग्र विकास को भी नए आयाम देंगे।

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने नौसेना के संचालन के विभिन्न पहलुओं जैसे तकनीकी सहायता, प्रशासनिक प्रबंधन और रसद सहायता में असैनिक कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नौसेना की युद्ध तत्परता और परिचालन सफलता के लिए उनका सहयोग आवश्यक है।

इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान तथा अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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