सेंधवा परियोजना का नाम निमाड़ के गांधी रामचंद्र विट्ठल और निवाली परियोजना का नाम टंट्या मामा के नाम पर होगा
मुख्यमंत्री ने सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजनाओं का किया भूमि-पूजन
सेंधवा: हर खेत को पानी और हर हाथ को रोजगार दिलाना हमारा संकल्प है. जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा सोना हो जाता है उसी प्रकार धरती को पानी मिले तो वह सोना उगलती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से हम इस संकल्प को पूरा करेंगे. हम हर गांव तक और हर खेत तक पानी पहुंचाएंगे. यह पानी अगर 60-70 वर्ष पहले खेतों को मिल जाता तो आज देश की दशा ही बदल जाती.
यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही. मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को बड़वानी जिले की सेंधवा कृषि उपज मंडी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में 1402.74 करोड़ रूपये की लागत वाली सेंधवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना और 1088.24 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित होने वाली निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का भूमि-पूजन कर संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने दोनों परियोजनाओं का नामकरण करते हुये कहा कि सेंधवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना निमाड़ के गांधी श्री रामचंद्र विट्ठल के नाम पर और निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का नाम टंटया मामा के नाम पर होगा. कार्यक्रम में अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागरसिंह चौहान, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य, राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेरसिंह सोलंकी, लोकसभा सांसद गजेन्द्रसिंह पटेल, पूर्व मंत्री प्रेमसिंह पटेल सहित जन-प्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद रहे.
सेंधवा में भी उपलब्ध होगा पानी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि माँ नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी है और निमाड़ के लोगों को माँ नर्मदा का आँचल मिला है. नर्मदा घाटी की इंदिरा सागर परियोजना और लोअर गोई परियोजना की नहरों से बड़वानी जिले में सूक्ष्म सिंचाई पहले से हो रही है. अब सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना से जिले के सुदूर क्षेत्रों में किसानों को अपने खेतों तक माँ नर्मदा का जल सिंचाई के लिये पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकेगा.
वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में किया जायेगा परिवर्तित
मुख्यमंत्री ने कहा कि टंट्या मामा, भीमा नायक जैसे जनजातीय नायकों ने देश के स्वाभिमान के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया. उनके नाम से अंग्रेज थर्राते थे. रेल उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ती थी. हम उनके बलिदान को याद करते हैं और उन्हें नमन करते हैं. हमारी सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के 3 महीने के अंदर ही खरगोन में टंट्या मामा भील के नाम पर विश्वविद्यालय बनाया. जनजाति भाइयों के कल्याण के लिए टंट्या मामा योजना भी चलाई गई है. उन्होंने जनजाति क्षेत्र के समग्र विकास के लिए वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने की घोषणा भी की. साथ ही निवाली में विद्युत उपकेंद्र प्रारंभ करने और विभिन्न नवीन मार्गो के निर्माण की घोषणा की