कुक्षी।किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी मुश्किल जिंदगी में सिर्फ किसी को पाना नहीं है बल्कि उसे खोने के बाद भी खुद को संभाले रखना है यदि कोई उदासी महसूस करता है उसका अर्थ है कि व्यक्ति का मन अतीत में है। यह विचार यहां आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन ब्रह्माकुमारी भारती दीदी ने नगर वासियों को संबोधित करते हुए। उन्होंने कहा की
अगर तनाव ग्रस्त है तो निश्चित ही भविष्य की अनिश्चिता के कारण है ।परंतु यदि कोई वर्तमान में जी रहा है तो ज्यादा संभावना है कि वह शांति से जी रहा है। कहते हैं ना सत्य को स्वीकार कर लेना चाहिए फिर वह चाहे हैरान करें या आपके विचारों को बदल दे। ध्यान रहे की मानसिक शांति के बदले साम्राज्य प्राप्त करना भी वास्तव में एक तरह की पराजय है ।आज धर्म की अती ,पाप कर्मों की अति है लेकिन आध्यात्मिक पद पर चलने वाले कम, दिव्य गुण से जीवन को श्रृंगारित करने वाले कम है । दिखाया सौ कौरव ,पांच पांडव थे। कोरव तड़प तड़प कर गए, पांडव हिमालय पर गल मरे अर्थात ऊंची स्थिति को प्राप्त कर मर जाना है, तो प्यार से या तड़प तड़प के मरना अच्छा है। मनुष्य के कर्मों कि तीन गति होती है जो भगवान को याद करते हैं वह भगवान के पास जाते हैं अर्थात पार निर्वाण प्राप्त होता है,जो अच्छे कर्म करने वाले हैं उसके लिए कहा जाता है वह स्वर्ग लोक में गया और जो बुरे कर्म करने वाले हैं उसके लिए कहते हैं कि वह दूसरी योनि, नर्क में गए। इस तरह से मानव आत्माओं को पाप कर्मों की सजा मिलती है। आज जनसंख्या किसकी बढ़ रही है मनुष्य की, न की जानवर की ।जानवरों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है इससे सिद्ध होता है कि मनुष्य के पाप कर्मों की सजा मनुष्य योनि में ही मिलती है ना की दूसरी योनि में जाने से। कोरोना कल में हमने मास्क क्यों लगाए क्योंकि हम मुंह दिखाने लायक नहीं रहे। ऐसे एक-एक का का विवेक पाप कर्मों के कारण खत्म होता जा रहा है ।पाप कर्मों से आत्मा की चैतन्यता खत्म होती जा रही है ।व्यक्ति तनाव चिंता से ग्रसित होता जा रहा है ।पादरी राजयोगिनी बताया कि जो भगवान को याद करते हैं स्वाध्याय करता है वह स्वर्ग में जाएगा गीता में भी बताया कि जो मेरी अप्रत्यक्ष रूप में पूजा करेगा उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी भगवान को पहचान कर उसके अनुसार कर्म करता है उसे सतयुग की प्राप्ति होती है ।कार्यक्रम के अंत में सभी नगर वासियों की ओर से आरती की गई ।इस आरती में शहर के गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं जो अपने जीवन को शांत सुखी बनाने के लिए इस कथा का रसपान कर रहे हैं। शनिवार को कथा का समापन के पश्चात महाप्रसादी का आयोजन रखा गया है।