साधु संतों व धार्मिक संस्थाओं को जमीन देने के लिए चल रही प्रक्रिया
उज्जैन: जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे, इस नारे के साथ सोमवार को 1000 से अधिक किसानों ने मोर्चा खोल दिया और सिंहस्थ क्षेत्र किसान संघर्ष समिति बनाकर आमने-सामने लड़ाई लड़ने की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है.पुजारी महेश शर्मा और गजेंद्र मारोठिया ने बताया कि सिंहस्थ 2028 के लिए धार्मिक संस्थाओं से लेकर साधु संतों को सिहस्थ मेला क्षेत्र में जमीन देने के लिए प्रावधान किया जा रहा है, जिसमें किसानों की जमीन ली जा रही है. किसानों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है कि यदि हमारे पूर्वजों की खून पसीने से कमाई हुई जमीन ले ली जाएगी तो हम हमारे परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे.
एक हजार किसान, 2378 हेक्टेयर जमीन
सिंहस्थ क्षेत्र किसान संघर्ष समिति ने सोमवार को अंकपात क्षेत्र के आशीर्वाद गार्डन मीटिंग में की. एक हजार किसान जुटे. किसानों ने एक स्वर में कहा कि 2378 हेक्टर जमीन पर उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा प्लानिंग की जा रही है, जिसका हम विरोध करते हैं.
आश्रम स्कूल अस्पताल बनेंगे
किसानों ने बताया कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में जो जमीन हमसे ली जाएगी उस 25′ जमीन पर प्राधिकरण, 5′ पर सड़क-नाली गार्डन बनाएगा. 20′ जमीन विकास प्राधिकरण रखेगा. बाकी 25′ जमीन पर आश्रम स्कूल अस्पताल आदि धार्मिक संस्थाओं और संतों द्वारा बनाए जाएंगे.
हमारे अधिकार पता नहीं
साधु-संतों से लेकर धार्मिक संस्थाओं को जमीन देने पर उनको अनुमति दी जा रही है. वह स्थाई पक्का निर्माण करेंगे. किसानों ने कहा कि हमको क्या अधिकार रहेगा, हमको ही पता नहीं है. हमें भरोसे में नहीं लिया जा रहा, यहां न तो रजिस्ट्री हो पा रही है न पक्के निर्माण की अनुमति है तो फिर हम क्यों हमारी जमीन धार्मिक संस्थाओं और संतों को दें.
13 अखाड़े 20 हजार बीघा जमीन
सिंहस्थ संघर्ष किसान समिति के पदाधिकारी ने बताया कि कुंभ मेला पहले भी लगता है इस तरह से कभी किसी ने किसानों को परेशान नहीं किया. अभी भी सिंहस्थ महाकुंभ का विरोध नहीं कर रहे हैं. सिर्फ हमारी यही मांग है कि 13 अखाड़े हैं और 20 हजार बीघा जमीन ली जा रही है, तो हम किसानों का क्या होगा कोई हमसे तो बात करें.
मुख्यमंत्री से करेंगे भेंट
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भेंट करके किसान अपनी बात रखेंगे, किसानों ने कहा हम सिंहस्थ के विरोधी नहीं है, जिस प्रकार से हमारी 50′ जमीन ले ली जाएगी तो हमारे पास क्या बचेगा. जो योजना बनाई जा रही है वह सही नहीं है। इस योजना को बदलना ही होगा. साधु संतों को धार्मिक संस्थाओं को पक्के और स्थाई निर्माण की अनुमति दे रहे हैं तो फिर किसानों को भी निर्माण की अनुमति दी जाए अस्पताल स्कूल तो हम भी चला सकते हैं.