नो-इन्ट्री से सबसे ज्यादा सरई नगर के व्यापारियों को हो रहा भारी नुकसान, जिला प्रशासन भी सुस्त
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 3 जनवरी। सरई में रिंग रोड का सपना 6वें साल बाद भी अधूरा रह गया है। सरई नगर के रहवासियों को करीब 6 साल से रिंग रोड का सजबाग सपना दिखाया जा रहा है। लेकिन पेंच ऐसा फसा है कि भारी भरकम बजट मुहैया कराने के बाद ही नगरवासियों का सपना पूरा हो सकता है।
गौरतलब है कि क्षेत्रीयजनों के मांग के अनुरूप 3 अक्टूबर 2018 में सरई में रिंग रोड की मंजूरी डिस्टिक मिनरल फण्ड से तत्कालीन विधायक राजेन्द्र मेश्राम के प्रयास से यह सौगात मिली थी और रिंग रोड की आधारशीला भी रखी गई थी। उस दौरान नगरवासियों को आश्वस्त किया गया था कि करीब 1 साल के अन्दर बाईपास सड़क मार्ग का कार्य पूर्ण हो जाएगा और भारी भरकम व्यवसायिक वाहन नगर में नही प्रवेश करेंगी। केवल व्यापारियों के सामग्रियों को परिवहन करने आएंगे। जिस वक्त यह आश्वासन नगरवासियों को दिया गया था उस दौरान नगरवासियों में भारी खुशी का माहौल था। लेकिन बाईपास सड़क निर्माण में ऐसा पेंच फसा कि करीब 6 साल बाद भी रिंग रोड का कार्य पूर्ण नही हो पाया है। सरई बाईपास मार्ग का कार्य विगत 6 वर्षो से चल रहा है और कार्य स्वीकृति का 7वां साल चल रहा है। चर्चा है कि क्रियान्वयन एजेंसी के पास धन की कमी एवं जिला प्रशासन की उदासीनता का खामियाजा सरई नगर परिषद के रहवासियों एवं व्यापारियों तथा आम नागरिको का भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि इन दिनों करीब 1 साल से सरई नगर में लगातार 14 घण्टों की नो-इन्ट्री से व्यापारियों का कारोबार पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। नगर के व्यापारी लगातार नो-इन्ट्री के समय में ढील देने की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन अब नो-इन्ट्री का शत-प्रतिशत पालन भी नही हो रहा है। जिसके चलते सड़क हादसो की संख्या में वृद्धि भी हो रही है। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि पुलिस नो-इन्ट्री का पालन कराने में बेवस भी नजर आती है और ट्रांसपोटरो से तालमेल भी है। जिन्हें गुपचुप तरीके से आने-जाने की इजाजत भी मिल जाती है और कोलवाहन स्पीड गति से चलते भी हैं और बाजार में भी आये दिन जाम लगा देते हैं। जिसके चलते व्यापारियों एवं कोलवाहनों के बीच तूतू-मैंमैं होना आम बात हो चुकी है।
नगर के व्यापारियों को पड़ रही आर्थिक मार
नगर के व्यापारियों को बाईपास सड़क का निर्माण कार्य न होने से भारी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। यहां आये दिन बाजार में जाम लगना जहां आम बात हो चुकी है। वही व्यापारियों के सामग्री भी जो माल बाहर से लेकर आते हैं उन्हें भी कई घंटो तक खड़ा रखना पड़ता है। यह समस्या एक साल के अधिक समय से निर्मित है। वही गजरा बहरा से कोयला लेकर परिवहन करने वाले टेलर वाहन इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं। जिसके चलते सरई नगर के व्यापारियों का व्यावसायिक कारोबार पूरी तरह से प्रभावित है। व्यापारियों ने भी आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन की उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। डीएमएफ फण्ड इधर-उधर करने में प्रशासन माहिर है। लेकिन जहां जरूरत है वहां ध्यान नही दिया जा रहा है। इसकी एक नही कई उदाहरण है।
38 करोड़ रूपये का हो चुका है प्रोजेक्ट
समाज सेवी एवं नगर परिषद सरई के पूर्व पार्षद प्रत्याशी अनील दुबे बताते हैं कि सरई बाईपास सड़क मार्ग की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है और इसके लिए पहले 19 करोड़ 20 लाख रूपये की मंजूरी मिली थी। बाद में सड़क को 7 मीटर चौड़ी कर दिये जाने से प्रोजेक्ट की लागत करीब 38 करोड़ रूपये पहुंच गया है। इसी में मुआवजा भी शामिल है और उक्त प्रोजेक्ट का रिवाईज स्टीमेट बन जाए तो रिंग रोड का कार्य पूर्ण हो सकता है। बजट अभाव के चलते कार्य ठप पड़ा हुआ है। उन्होंने माना है कि निर्धारित समयसीमा में बाईपास सड़क मार्ग का कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था। किन्तु प्रोजेक्ट का रिवाईज स्टीमेट न होने से ऐसी स्थिति निर्मित है।