आखिर क्यों बनाया जा रहा है इंदौर को जहरीला शहर..?

महाराष्ट्र और गुजरात सरकार कर चुकी है मना
पूर्व के चार ट्रायल हो चुके है फेल

इंदौर:भोपाल से यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा इंदौर पहुंच चुका है. उक्त कचरे को सरकार इंदौर में जलाकर जहरीला शहर क्यों बनाना चाहती है? पूर्व में ट्रायल के दौरान बेहद नकारात्मक परिणाम मिले थे. यदि अब कचरा इतना सुरक्षित है तो भोपाल में ही क्यों नहीं जलाया गया? कचरा मानव हित के लिए घातक है, जब ही महाराष्ट्र और गुजरात सरकार ने स्पष्ट मना किया है.सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन में एक स्वच्छ और पर्यावरण से ओतप्रोत इंदौर शहर को जहरीला शहर बनाया जा रहा है. 1984 में भोपाल गैस कांड के दौरान यूनियन कार्बाइड का 240 टन कचरा सरकार द्वारा सुरक्षित रख रखा था उक्त कचरे को इंदौर के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में रामकी इंसिनेटर में जलाने की कारवाई की जाएगी.

उक्त कचरे को लेकर पूर्व में 2010 से 2012 के बीच चार बार ट्रायल किए गए, जिसके परिणाम स्वरूप तारपुर गांव की मिट्टी को उपजाऊ क्षमता 98 प्रतिशत खत्म हो गई. मात्र 10 टन कचरे के ट्रायल में यह स्थिति बनी है. इतना ही नहीं करीब पांच किलोमीटर के दायरे में भूमिगत जल प्रदूषित होना पाया गया. तारपुर गांव के निवासियों को कई तरह की बीमारियां होने की बात भी सामने आई है. समझा जा सकता है कि 240 टन कचरा जलाने के बाद इंदौर के क्या हाल होंगे? पूर्व कचरा जलाने की रिपोर्ट में स्पष्ट तथ्य है कि यूनियन कार्बाइड का कचरा मानव, जल और वायु प्रदूषण को जहरीला बना सकता है. खास बात यह है कि विश्व स्वास्थ संगठन ने भी यूनियन कार्बाइड कचरे को लेकर कहा था कि मानव जाति के लिए बेहद हानिकारक है. इससे कई तरह की घातक बीमारियां होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा.

पास में है बस्तियां
खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 1989 में इसका उल्लेख है कि जहरीले पदार्थ अथवा कचरे को जलाने या खत्म करने की प्रकिया के दौरान 500 मीटर सराउंडिंग एरिया में कोई भी प्राणी और मानव बस्ती नहीं होना चाहिए. मगर पीथमपुर के तारपुर गांव में बस्ती है, रामकी इंसीनेटर के दो सौ मीटर के दायरे में है. साथ ही पीथमपुर अब बहुत घनी आबादी क्षेत्र हो गया है.

घातक बीमारियां होंगी
कचरे से निकलने वाले डाईऑक्सीसन और फ्यूरेंस रसायन से कई घातक बीमारियां होंगी. यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के बाद निकलने वाली गैस और वायु प्रदूषण से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा इंदौर जिले में बढ़ जाएगा. साथ ही मानव जाति में हारमोंस, प्रजनन क्षमता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाणी घटने और कमजोर होने का भी खतरा उत्पन्न होगा.

मानक स्तर से कई गुना ज्यादा अनुमेय पाया गया
पूर्व में जलाए कचरे के ट्रायल रिपोर्ट में मानक स्तर से 68 से 267 गुना ज्यादा तक रसायन का अनुमेय पाया गया है.

दूसरे राज्यों ने मना किया
महाराष्ट्र के नागपुर और गुजरात स्थित इंडस्टि्रयल एरिया भरूच के पास अंकलेश्वर में भी यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाने से मना कर दिया था. ऐसा कहा जाता और चर्चा है कि डीआरडीओ ने भी महाराष्ट्र के नागपुर शहर के पास यूनियन कार्बाइड के कचरा जलाने की रिपोर्ट पर आपत्ति लेते हुए, बहुत घातक और हानिकारक होना बताया था। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने भी मना किया था

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