ग्वालियर: शहर की सुन्दरता को लेकर भले ही प्रशासन बड़े बड़े दावे कर रहा हो पर हकीकत यह है कि किसी भी अधिकारी ने आज तक शहर को स्वच्छ बनाने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके कारण शहर हर बार स्वच्छता में आगे बढ़ने की बजाय और फिसड्डी होता जा रहा है।अहम बात यह है कि शहर की सुन्दरता को बिगाड़ने का काम शहर में संचालित दूध डेयरिया कर रहीं हैं और इन डेयरी को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिए निगम प्रशासन ने ग्वाला नगर प्रोजेक्ट तो तैयार कर लिया और इस प्रोजेक्ट को मूर्तरूप देने के लिए चार स्थानों का चयन भी कर लिया गया पर आज प्रोजेक्ट को बनने के सालों बाद भी प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं किया गया और उल्टा डेयरी संचालकों को दोषी ठहराते हुए पूरे प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
प्रोजेक्ट प्रभारी चतुर्वेदी से जब इस बारे मे चर्चा की तो उन्होंने डेयरी संचालकों पर ठीकरा फोड़ दिया और अपना पल्ला झाड़ लिया।कुछ समय पहले निगम प्रशासन ने ग्वाला नगर प्रोजेक्ट पर काम किया तथा डेयरी संचालकों को जागरूक किया और शासन से जमीन व डेयरी संचालकों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बजट भी पास करा लिया तो लोगों को लगा कि अब दूध डेयरिया शहर से बाहर व्यवस्थित रूप से शिफ्ट हो जाएगी और लोगों को गंदगी से निजात भी मिल जाएगी लेकिन कुछ दिन बाद ग्वाला नगर प्रोजेक्ट के बुरे दिन शुरू हो गये तथा जिस प्रोजेक्ट को लेकर डेयरी संचालक आस लगाए बैठे थे उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
कहां गयी शासन से मंजूर की गयी राशि
चलो मान भी लें कि प्रोजेक्ट को लेकर डेयरी संचालक रुचि नहीं ले रहे तो फिर शासन द्वारा प्रोजेक्ट को लेकर मंजूर की गयी राशि कहा गयी और इस राशि का क्या किया यह भी नगर निगम प्रशासन नहीं बता रहा।
ठंडे बस्ते में प्रोजेक्ट
अगर प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है तो क्यों डाल दिया यह भी बताने से नगर निगम प्रशासन के अफसर कतरा रहे हैं। इससे एक बात तो साफ है कि गवाला नगर प्रोजेक्ट एक सपना बनकर रह जाएगा और शहर को स्वच्छ बनाने का सपना सिर्फ सपना बनकर रह जाएगा।