यादगार बन गया महामहिम का ग्वालियर प्रवास, मिली कई सौगातें

ग्वालियर चंबल डायरी
हरीश दुबे
महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री जैसे शीर्षस्थ पदों पर विराजे महानुभावों का ग्वालियर आना यूं तो कोई नई बात नहीं है और यह सिलसिला तब से निर्बाध जारी है जब यह शहर मध्यभारत की राजधानी हुआ करता था। मध्यभारत के राजाप्रमुख यानि गवर्नर बने जीवाजीराव सिंधिया को शपथ दिलाने स्वयं नेहरूजी ग्वालियर आए थे, यह तो हुई पुरानी बात, लेकिन शीर्ष संवैधानिक पदों पर विराजी हस्तियों के ग्वालियर प्रवास के इस क्रम में उस वक्त एक और नया स्वर्णिम आयाम जुड़ा जब देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस हफ्ते ग्वालियर तशरीफ लाए। ग्वालियर के हदयस्थल महाराज बाड़े पर देश का पहला जियो साइंस म्यूजियम बन तो कई महीने पहले बन गया था लेकिन लोकार्पण कार्यक्रम तय नहीं हो पा रहा था।

सिंधिया , ग्वालियर को मिले इस नायाब तोहफे का लोकार्पण राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री के करकमलों से कराना चाहते थे और उनकी यह मुराद तब पूरी हुई जब उपराष्ट्रपति के ग्वालियर दौरे का कार्यक्रम बना और अपनी तरह के भारत के इस म्यूजियम के पट महामहिम के ही हाथों खोले गए। चूंकि ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के लिए जगह सिंधिया परिवार ने दी थी, लिहाजा अर्से से यह मांग की जा रही थी कि यूनिवर्सिटी कैंपस में कैलाशवासी महाराज की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाए, उप राष्ट्रपति के हाथों इस प्रतिमा के अनावरण के साथ ही यह मांग भी पूरी हो गई है। देश की शीर्ष हस्ती ग्वालियर आएं और महल न जाएं, यह मुनासिब नहीं था, लिहाजा महल में हुआ शाही दोपहर भोज सियासत के गलियारों से लेकर शहर तक में चर्चा का विषय बना रहा।

चिकनगुनिया याद दिला रहा कोरोना काल की दुखद स्मृतियां

ग्वालियर महानगर इस समय चिकनगुनिया और डेंगू की चपेट में है। हालात इस कदर बदतर हैं कि लोगों को कोरोना काल की दुखद स्मृतियां ताजा हो गई हैं। आंकड़ों पर जाएं तो बड़ी भयावह तस्वीर उभरकर आ रही है। अब तक अकेले ग्वालियर शहर में ही चिकनगुनिया के 436 मरीज मिल चुके हैं, मौतें अलग हुई हैं। चूंकि बरसात के मौसम में शहर के तमाम गली मोहल्ले व कालोनियों में जल भराव हो गया था, संबंधित महकमों की अलाली के चलते इस पानी की निकासी अब तलक नहीं हुई, नतीजा यह है कि चिकनगुनिया वायरस के बाद अब डेंगू भी फैल गया है। विभिन्न कालोनियों के लोगों की शिकायत है कि मलेरिया विभाग की टीम एक दो दिन छोड़कर दर्शन तो देती है लेकिन फॉगिंग नहीं की जाती। उधर चिकनगुनिया मरीजों के बड़े आंकड़े पर सीमएचओ अपने महकमे की पीठ थपथपाते हुए कह रहे हैं कि मलेरिया टीम ने तमाम जगह बड़े कैंप लगाए थे, इन कैंपों में की गई जांच का ही नतीजा है कि इतनी संख्या में मरीज सामने आए हैं। चिंता की बात यह है कि कोरोना की ही तरह चिकनगुनिया का वैरिएंट भी नई नई शक्ल में सामने आ रहा है। जो मरीज इलाज के बाद पूरी तरह दुरुस्त हो गए थे, उन्हें अब फिर से इस गंभीर बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगे हैं।

मेला शुरू होने में हफ्ता भर बचा, तैयारी अब तक सुस्त

ग्वालियर व्यापार मेला का आगाज होने में अब बस एक हफ्ते का समय बाकी है लेकिन मेला में तैयारियां सिफर नजर आ रही हैं। मेले की इतनी सुस्त तैयारियां पहले कभी नहीं हुईं। पहले यह कहा गया कि पूरा प्रशासन उप राष्ट्रपति के दौरे और तानसेन संगीत समारोह की तैयारियों में व्यस्त है लेकिन ये दोनों ही ईवेंट करीब करीब निबट चुके हैं लेकिन मेला की रफ्तार कछुआ चाल से आगे नहीं बढ़ी। सत्ता दल के गलियारों में एक बार फिर से कहा जाने लगा है कि यदि मेला प्राधिकरण में राजनीतिक नेतृत्व होता तो ये बदतर हालात मयस्सर नहीं होते। पूरा मेला उद्योग व एमएसएमई विभाग के अफसरों के भरोसे है। हालांकि संभागीय कमिश्नर ने इन अफसरों को कसा है लेकिन झूला सेक्टर छोड़कर और कहीं तैयारी नजर नहीं आ रही। रोड टैक्स में फिफ्टी परसेंट छूट का मसला अभी अधर में है लिहाजा ऑटोमोबाइल सेक्टर भी आकार नही ले सका है। हालांकि सीएम और सिंधिया अपने हालिया ग्वालियर प्रवास में मेला व्यापारियों से यह पक्का वादा कर के गए हैं कि रोड टैक्स में छूट जरूर दी जाएगी। लेकिन ट्रांसपोर्ट महकमा जब तक विधिवत ऐलान नहीं कर देता तब तक वाहन डीलर्स अपनी कंपनियों को ऑर्डर भेजने में हिचक रहे हैं।

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