मुंबई, 18 नवंबर (वार्ता) बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार को चुनाव आयोग (ईसीआई) के उस सर्कुलर को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं को मतदान केंद्रों के अंदर मोबाइल फोन ले जाने पर रोक लगाई गई है।
अदालत ने कहा कि ईसीआई के सर्कुलर में कोई अवैधता या अनियमितता नहीं है और आयोग को यह अधिकार है कि वह अधिकृत चुनाव अधिकारियों या पर्यवेक्षकों के अलावा किसी को भी मतदान केंद्र के 100 मीटर की परिधि में मोबाइल फोन ले जाने या इस्तेमाल करने से रोकता है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ उजाला श्यामबिहारी यादव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने दावा किया था कि ईसीआई के फैसले से बुजुर्ग मतदाताओं को परेशानी होगी और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा आएगी। उन्होंने तर्क दिया कि ईसीआई का उपाय सूचना प्रौद्योगिकी (डिजीलॉकर सुविधाएं प्रदान करने वाले मध्यस्थों द्वारा सूचना का संरक्षण एवं प्रतिधारण) नियम 2016 के नियम 9 ए का उल्लंघन करता है।
वहीं, याचिका का विरोध करते हुए चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि यह निषेध यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है कि चुनाव न केवल स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से, बल्कि हिंसा से मुक्त निर्भीक और सुचारू तरीके से भी आयोजित किए जाएं। याचिका को खारिज करते हुए, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा,“क्या आप समझते हैं कि चुनाव कराने की प्रक्रिया कितनी बोझिल है? हम इसे दुनिया की सबसे बड़ी प्रक्रिया कहते हैं। इसका दुरुपयोग होने की संभावना है (यदि मतदाताओं को मतदान केंद्रों के अंदर मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है)। यदि आप इस देश में चुनाव आयोग के सशक्तीकरण से पहले देखी जाने वाली हिंसा की तुलना करते हैं, तो क्या कोई अनुमान लगा सकता है कि अब क्या हो सकता है?”