भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के बाद दफन यूनियन कार्बाइड के जहरीला कचरे को धार जिले के पीथमपुर में जलाने की तैयारियों का यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के हितों के लिए कार्य करने वाले चार संगठनों के नेताओं ने विरोध किया है।भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से पिछले कुछ सालों से जहरीला रिसाव जारी हैं। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन अवशेषों से निकलने वाला जहर पीथमपुर और उसके आसपास के भूजल को प्रदूषित न करे।
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि कल एक अखबार में छपी एक रिपोर्ट में पीथमपुर के आसपास के जल स्रोतों के गंभीर प्रदूषण और री सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित संयंत्र से निकलने वाले गैस और ज़हरीले कचरे के कारण स्थानीय आबादी में होने वाली बीमारियों की अधिकता का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि अखबार की रिपोर्ट में हुए खुलासे से एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर हमारा जो भी भरोसा था, वह बुरी तरह से हिल गया है, क्योंकि बोर्ड ने कभी भी इन नियमित पर्यावरणीय अपराधों का उल्लेख तक नहीं किया है।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि सरकारी योजनाओं के अनुसार भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को साढ़े तीन महीने तक जलाया जाना है। इतने लंबे समय तक भस्मक से निकलने वाले धुएं में जहर और पार्टिकुलेट मैटर के चपेट में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी अधिक है। वर्तमान में जो काम जारी है वह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक हादसा पैदा करने से कम नहीं है।
यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध करते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा कि तत्कालीन पर्यावरण मंत्री के तौर पर श्री जयंत मलैया और तत्कालीन गैस राहत मंत्री के तौर पर श्री बाबूलाल गौर ने कई सरकारी बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था। गैस राहत आयुक्त ने तो कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक दाखिल किया था।