एमपीएनआरसी के अध्यक्ष तथा रजिस्ट्रार को तत्काल हटाया जाए

हाईकोर्ट ने दिये प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग को आदेश
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट में प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्टेषन काउसिंल के अध्यक्ष जितेश चंद्र शुक्ला तथा रजिस्टार श्रीमति अनीता चंद्र से तत्काल पद से हटाने के निर्देश जारी किये है। हाईकोर्ट जस्टिस जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने कार्यवाही के लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा विभाग को निर्देशित करते हुए आदेश की प्रति भेजने के लिए कहा है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 19 दिसम्बर को निर्धारित की है।गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जाने को चुनौती दी गयी थी। याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने शासन के उस निर्णय को चुनौती दी आवेदन दायर किया था,जिसमें नर्सिंग घोटाले की अनियमितता में लिप्त एक इंस्पेक्टर अनीता चांद को ही नर्सिंग काउंसिल का रजिस्ट्रार बनाया गया था। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही के संबंध में रिपोर्ट पेश करने आदेश जारी किये थे।

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि रजिस्टार अनीता चंद्र के खिलाफ आरोपो की जांच करने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता का दावा है कि भोपाल के एक कॉलेज को उनकी रिपोर्ट के आधार पर फर्ती तरीके से मान्यता दी गयी थी। पूरी संभावना है कि श्रीमती अनिता चंद उन भौतिक साक्ष्यों से छेड़छाड़ करेंगी, जिनका उपयोग उन दोषी अधिकारियों के विरुद्ध किया जा सकता है, जिन्होंने अवैध कार्य किया है। इसी प्रकार एमपीएनआरसी के अध्यक्ष पद से डॉ. जितेन चंद्र शुक्ला को हटाने के लिए भी आवेदन दायर किया है। अध्यक्ष शुक्ला उस समय एमपीएनआरसी के निदेशक के पद पर थे, जब नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में कई अनियमितताएं हुई थी।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई जांच में यह बात सामने आई है कि कई कॉलेज को मान्यता दी गयी,जो अपेक्षित मानदंड के अनुसार उपयुक्त नहीं थे। अदालत मामलों की निगरानी कर रहा है और सीबीआई जांच अभी जारी है। मामले की नजाकत व विभिन्न अनियमितताओं को देखते हुए, हम ऐसे अधिकारियों को ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर रहने की अनुमति नहीं दे सकते है जो मान्यता देने की पिछली प्रक्रिया में शामिल थे। इस बात की पूरी संभावना है कि ऐसे अधिकारी न केवल अपनी बल्कि अन्य पदाधिकारियों की जान बचाने की कोशिश करेंगे, बल्कि सामग्री के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करेंगे। हम ऐसे प्रयासों की निंदा करते हैं जो प्रक्रिया अनियमितताओं और अवैधताओं को दूर करने के लिए अदालत द्वारा किए गए प्रयासों को विफल करने की कोषित है। युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों को तत्काल हटाने के आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।

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