नवभारत न्यूज
खंडवा। अतिक्रमण हटाने गए वन अमले पर पत्थरों और गोफन से हमला कर दिया गया। घटना शुक्रवार दोपहर सुबह 10 के करीब की है। सरमेश्वर रेंज के सीताबैड़ी में यह हमला हुआ है। 6 लोगों को चोटें आई हैं। इसमें एक वनकर्मी संजय सिंह तोमर के सर में पत्थर लगा। वे बेहोश हो गए। बाद में इन्हें जिला चिकित्सालय में होश आया। हमलावरों को चिन्हित किया जा रहा है। इसके बाद उन पर मामला दर्ज कराया जाएगा।
अतिक्रमणकारियों के द्वारा किए गए हमले में 5 वन कर्मचारी घायल हुए हैं, जिन पर अतिक्रमण हटाने के दौरान पत्थरों और गोफन से हमला किया गया था ।
अचानक पत्थरों की बरसात
डिप्टी रेंजर चंद्रशेखर सोहनी ने बताया कि सरमेश्वर के जंगल में अतिक्रमण पर कार्रवाई के दौरान करीब 46 जवानों की टीम गई हुई थी। इस बीच अचानक अतिक्रमणकारियों ने पत्थर और गोफन से हमला कर दिया। अधिकारी और कर्मचारी कुछ समझ पाते, उससे पहले ही उन पर जमकर पत्थर बरसने लगे ।
एक गंभीर,छह घायल
वन परिक्षेत्र सरमेश्वर में अतिक्रमण हटाने के उद्देश्य से करीब 46 लोगों का स्टाफ साथ लेकर गए हुए थे । हम वहां पर सीपीटी खुदवा रहे थे। इसी बीच सीताबेड़ी क्षेत्र के कुछ वन अतिक्रमणकारी वहां आए। उन्होंने वन अमले पर पथराव कर दिया । इस हमले में हमारे सरमेश्वर रेंज के वनरक्षक संजय सिंह तोमर घायल हुए हैं, जिनके पीठ और सीने पर पत्थर के निशान हैं ।
उनके साथ ही 5-6 और कर्मचारियों को पत्थर लगे हैं, जिनके पीठ और पैर पर चोट के निशान हैं,हालांकि उन्हें गंभीर चोट नहीं हैं ।
ऐसे होगा मामला दर्ज
एसडीओ संदीप वास्कले ने बताया कि, खंडवा वन मंडल के सरमेश्वर रेंज में अतिक्रमण पर कार्रवाई करने के उद्देश्य से वन अमला पहुंचा था। जब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही थी । उस दौरान अचानक अतिक्रमणकारियों ने वन अमले पर हमला कर दिया। उन्होंने बताया कि अतिक्रमणकारियों को लेकर जिला टास्कफोर्स की बैठक होने के साथ ही बेदखली के नोटिस दिए जा चुके हैं। उस पर मिल रहे जवाबों की जांच की जा रही है। जिनके जवाब नहीं मिले हैं, उन पर बेदखली की कार्रवाई की जा रही है। अब हमला करने वाले अतिक्रमणकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाएगा ।
सिर,पैर और सीने में चोटें
हमले में घायल वनकर्मियों के सिर, पैर, सीने और पीठ पर पत्थरों से चोट के निशान हैं । इसको लेकर अब वन विभाग के अधिकारी हमलावरों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं ।
अतिक्रमणकारियों के हमले नई बात नहीं
वर्दीवालों पर अतिक्रमणकारियों के हमले नई बात नहीं है। ये वन विभाग के एसी में बैठे अफसर और अतिक्रमणकारियों के बीच सैंडविच बने हुए हैं। बच्चों का पेट भरने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। इन्हें बंदूक तो दे दी गई है, लेकिन चलाने का अधिकार नहीं है। ये किसी को थप्पड़ भी नहीं मार सकते। उधर, जंगलों में अतिक्रमण हटवाने की जिम्मेदारी इन्हीं के माथे है। ये वहां जाते हैं और मार खाकर लौट आते हैं। राजनीतिक लोग इन्हें दबाते हैं। अतिक्रमणकारियों को प्रश्रय देते हैं। इस पर कोई ठोस नीति आज तक नहीं बनी। केवल सरकार बनाने के लिए इनका उपयोग हर दल कर रहा है। ऐसा ही रहा तो बचा हुआ जंगल भी खत्म हो जाएगा। बाहर से आने वाले लोग खंडवा जिले में जंगल काटकर खेत बना रहे हैं। इसी को छुड़वाने के लिए वन विभाग कमर कसकर जाता है, और कानून व नौकरी के डर से मार खाकर लौट आता है। आखिर यह कब तक चलता रहेगा?