नेपाल के पूर्व केंद्रीय मंत्री की चीन को खुली चुनौती

विश्वेंद्र पासवान ने बीआरआई पर जताई नाराजगी, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसा पर रोष
ग्वालियर: ग्वालियर प्रवास पर पहुंचे नेपाल के पूर्व केंद्रीय मंत्री विश्वेंद्र पासवान ने चीन को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने नेपाल के आधिकारिक तौर पर बीआरआई प्रोजेक्ट में चीन द्वारा शामिल किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही उन्होंने भारत में जातिगत जनगणना को बेहद जरूरी बताया है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा हाल ही में चीन की पांच दिवसीय यात्रा करके लौटे हैं इस दौरान नेपाल आधिकारिक तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव फ्रेमवर्क एग्रीमेंट यानी की BRI में शामिल हो गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री इसे गेम चेंजर बता रहे हैं तो वहीं नेपाल के पूर्व केंद्रीय मंत्री विश्वेंद्र पासवान ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

विश्वेंद्र पासवान ने कहा कि नेपाल और भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यह स्वतंत्र सेकुलर कंट्री है, भारत जिस तरह से आगे बढ़ रहा है चीन भी आगे बढ़ रहा है। दोनों ही मित्र देश है, लेकिन जो देश नेपाल में ज्यादा हस्तक्षेप करना चाहते है जो लोग दबाव बना रहे हैं यह गलत है। मैं चीन सरकार से कहना चाहता हूं कि चीन गरीब देश को जिस तरह जाल में फंसाना चाह रहे हैं यह सोच उन्हें बदलनी होगी। आपको बता दे कि जो देश कर्ज नहीं चुका पाते चीन अपनी ऋण जाल कूटनीति के तहत उस पर कब्जा कर लेता है।

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यको के साथ हो रहे अत्याचार पर पासवान का कहना है कि यह सब पॉलिटिकल बेनिफिट से जुड़ा है। जहां-जहां जो किया जा रहा है इसको रुक जाना चाहिए, इसलिए सभी धर्म गुरुओ से सभी सरकारों से कहना चाहता हूं कि धर्म के नाम पर राजनीति न करें। धर्म के नाम पर जीने का जो हक हमें मिला है, उसे सम्मान पूर्वक जीने का हक दिया जाए। किसी भी मजहब वाले का अपमान ना करें पीड़ा ना दें। भारत का सभी सार्क देशों के साथ अच्छा संबंध रहा है, सार्क राष्ट्र में आपस में बिजनेस चल रहा है। ऐसे में संबंध ना बिगड़े जो भी कमियां हैं उनका समाधान खोज लेना चाहिए।

मुस्लिम कंट्रीयो में हिंदू अल्पसंख्यकों की लगातार घट रही आबादी से जुड़े सवाल पर पासवान बचते हुए नजर आए और कहा कि कौन किस धर्म मैं पैदा हुआ है। कौन किस धर्म को मानेगा और कौन किस धर्म को नहीं मानेगा, यह उनका स्वतंत्र अधिकार है। लेकिन धर्मांतरण से जुड़ी किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। क्योंकि यह कानून के खिलाफ भी है। भारत बांग्लादेश नेपाल भूटान पाकिस्तान या दुनिया का कोई भी जगह हो किसी भी धर्म मजहब वाले का अपमान नहीं होना चाहिए

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