लंबित शिकायतें बनीं सिरदर्द, नये मामलों से परहेज

वर्ष के अंत माह में सादे आवेदन लेकर भी हो रही रस्मअदायगी
 जबलपुर: सन् 2024 की विदाई होने वाली है, अब साल का अंतिम माह शुरू हो गया और पुलिस थानों में 30 प्रतिशत अपराध लंबित हैं, ऐसे में सालभर की लंबित शिकायतें पुलिस के सिरदर्द अब बन चुकी हैं। ऐसे में पुलिस लंबित मामलों को निपटाने में जुटी हुई और नये मामलों से परहेज भी कर रही है। सूत्र बताते है कि सादे कागज में आवेदन लेकर रस्म अदायगी भी की जा रही है। थानों में सिर्फ अब वहीं अपराध दर्ज हो रहे हैं जिन्हें दर्ज करना पुलिस की मजबूरी है। बाकी जांच के नाम पर शिकायतें दर्ज करते हुए आवेदकों को पुलिस चलता कर दे रही है, ऐसे में शिकायतकर्ता थानों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही हैं।
आंकड़ोंं की बाजीगरी
नये मामलों से परहेज करने का एक मुख्य कारण यह भी है कि पुलिस सालभर के आंकड़ोंं की बाजीगरी करना चाहती है इसके साथ ही लंबित मामलों का निपटारा भी करना चाहती है। वारदातें आम दिनों की तरह की हो रही है लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो रही है।
 इनकी मजबूरन करनी पड़ रही कायमी
हत्या, हत्या के प्रयास, दुष्कर्म, अपहरण जैसे अन्य गँभीर अपराधों की पुलिस को मजबूरन कायमी करनी पड़ रही है। इसके अलावा एप्रोच लगाने वालों की भी शिकायतों पर कायमी हो रही है फिर चाहे उनकी शिकायत मारपीट की हो या चोरी, लूट की। इसके अलावा वर्ष के आखिरी बचे अंतिम दिन सभी थाना प्रभारी, बीट प्रभारी भगवान से यह भी कामना कर रहे हैं कि उनके थाना क्षेत्र में ऐसे अपराध न हों, जिनकी लिखा पढ़ी करना मजबूरी हो।
इन मामलों से दूरी
पुलिस लूट, चोरी, धोखाधड़ी, सायबर क्राइम, जमीन सम्बंधी, रुपयों के लेनदेन, घरेलू झगड़ों आदि से पुलिस ने दूरी बना ली है। इन अपराधों का ग्राफ पहले से ही बढ़ा हुआ है।
मातहातों को निपटारे के निर्देश
पुलिस अधिकारियों ने लंबित मामलों को समय सीमा में साल खत्म होने के पहलेे निपटारा करने थाना प्रभारियों, मातहतों को निर्देश दिए है। सभी थाना प्रभारियों की भी यही कोशिश है कि वे अपने-अपने थानों के कामकाज निपटा लें, लंबित अपराधों को निकालकर रिकार्ड दुरूस्त कर लें।
नया साल, नया रोजनामचा खुलेगा
थानों में जहां लंबित अपराध निपटाने का काम तेजी से चल रहा है तो वहीं 1 जनवरी 2025 से नया रोजनामचा खुलेगा

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