प्राइवेट ट्रस्ट वसीयत से अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है
सक्सेशन पलानिंग थ्रू प्राइवेट ट्रस्ट विषय पर सेमिनार
इंदौर: टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा सक्सेशन पलानिंग थ्रू प्राइवेट ट्रस्ट विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जिसे सीए दीपक मंत्री ने सम्बोधित किया.मुख्य वक्त सीए दीपक मंत्री ने कहा कि भारत में प्राइवेट ट्रस्ट का चलन पिछले कुछ वर्षों से बढ़ा है खास तौर पर व्यापारिक घरानों, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (5 करोड़ नेट वर्थ से ज्यादा वाले व्यक्ति), अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (25 करोड़ नेट वर्थ वाले इंडिविजुअल) वसीयत के स्थान पर प्राइवेट ट्रस्ट के द्वारा सक्सेशन प्लानिंग कर रहे हैं. प्राइवेट ट्रस्ट में स्पेसिफिक इंडिविजुअल लाभार्थी होता है न कि आम जनता इसलिए व्यक्ति को अपने बाद जिसे भी संपत्ति का बंटवारा करना है वो प्राइवेट ट्रस्ट के द्वारा संभव है.
उन्होंने कहा कि बिज़नेस के केस में प्राइवेट ट्रस्ट न केवल उत्तराधिकारियों को बिज़नेस में स्वामित्व प्रदान करते हैं वरन बिज़नेस के मॉडल में कोई चेंज नहीं होने से व्यापार को भी प्रभावित नहीं करते. इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी प्लानिंग की जा सकती है तथा व्यापार के स्वरुप में कोई परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं रहती. भारत में टाटा ट्रस्ट सबसे अच्छा सक्सेशन प्लानिंग का उदाहरण है. सेमिनार का सकलन टीपीए के सचिव सीए डॉ अभय शर्मा ने किया. धन्यवाद् अभिभाषण सीए अभिषेक गांग ने दिया. इस अवसर पर सीए अजय सामरिया, संतोष शर्मा, महेश जाजू, दिनेश गोयल, योगेश तलवार, तेजेंद्र सिंह, दिलीप राठौर सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे.
प्राइवेट ट्रस्ट भी बड़ी मात्रा में बन रहे
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए जे.पी. सराफ ने कहा कि सक्सेशन पलानिंग भारत में सबसे कम चर्चा किये जाने वाला विषय है जबकि इसके अभाव में व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् उत्तराधिकारियों में विवाद की स्थिति बनती है. यदि व्यक्ति चाहता है कि उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके उत्तराधिकारी शांति से उसकी संपत्ति का उपयोग/उपभोग करें तो उसे सक्सेशन प्लानिंग अवश्य करनी चाहिए. टीपीए के सचिव सीए डॉ अभय शर्मा ने बताया कि चूँकि मृत्यु का भरोसा नहीं रहता इसलिए सक्सेशन प्लानिंग याने आपके उत्तराधिकार प्लानिंग हर आयु वर्ग के व्यक्ति को करना चाहिए. इसके लिए वसीयत सबसे प्रचलित तरीका है लेकिन अब भारत में प्राइवेट ट्रस्ट भी बड़ी मात्रा में बनने लगे हैं जिससे वेल्थ मैनेजमेंट एवं सक्सेशन प्लानिंग दोनों कार्य संभव होते है.