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खंडवा। सरकारी बिगड़ैल ढर्रे का शर्मनाक नमूना लोकायुक्त ट्रेपिंग कार्रवाई में उजागर हुआ है। कोरोना में दो नाबालिक बच्चों के पिता की मौत हो गई थी। ऐसे बच्चों के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में पढ़ाई का खर्चा 4000 महीने देने का ऐलान किया। महिला एवं बाल विकास विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंप गई। इस रकम में भी विभाग का कंप्यूटर ऑपरेटर और एक अन्य व्यक्ति साहबों के लिए बच्चों से 50 प्रतिशत राशि मांग रहा था।
अचरज की बात है कि करेला और नीम चढ़ा विभाग कई मसलों में समाज को नीचा दिखा चुका है। बच्चों ने विपुस्था लोकायुक्त इंदौर को शिकायत की। खंडवा में मनोज दिवाकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं महिला एवं बाल विकास का डाटा एंट्री ऑपरेटर संजय जगताप रंगे हाथों पकड़े गए।
अमन राठौर पिता स्वर्गीय संतोष राठौड़ संजय नगर खंडवा ने आरोपी मनोज कुमार दिवाकर सामाजिक कार्यकर्ता महिला एवं बाल विकास विभाग खंडवा व संजय जगताप डाटा एंट्री ऑपरेटर महिला एवं बाल विकास विभाग खंडवा के खिलाफ शिकायत की थी।
कार्रवाई ऐसे बढ़ी आगे
शिकायत आवेदक द्वारा पुलिस अधीक्षक,लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में की गई। जिसका सत्यापन कराया गया, जिसमें बातचीत के दौरान आरोपीगण द्वारा 36000 रुपए लेना तय किया। आवेदन पत्र के सत्यापन एवं आरोपियों से हुई बातचीत के आधार पर आरोपी मनोज दिवाकर एवं संजय जगताप के विरुद्ध धारा 7 भ्रनिअ एवं धारा 120ड्ढ ढ्ढक्कष्ट का प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया। आज आरोपी मनोज दिवाकर को 36,000 रू की राशि लेने पर ट्रैप किया गया है।
पैसे नहीं दिए तो योजना बंद करने की धमकी
36000 की कार्यालय में सामाजिक कार्यकर्ता के पद पर पदस्थ मनोज दिवाकर एवं कंप्यूटर ऑपरेटर संजय जगताप द्वारा इस कार्य को करने और भविष्य में भी ये राशि मिलती रहे । इसके एवज में मांग की गई कि पेमेंट नहीं देने पर योजना का लाभ आगे नहीं दिए जाने का कहा गया।
इनसे रुपए मांगते शर्म नहीं आई
आवेदक के अनुसार अगस्त 2023 में उसके द्वारा मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत आवेदन पत्र महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय खंडवा में दिया था। आवेदक के पिता की मृत्यु होने से आवेदक एवं उसकी बहन के नाम से आवेदन कार्यालय द्वारा स्वीकृत किया गया था। जिसमें प्रत्येक माह 4000 की राशि दोनों बच्चों की शिक्षा हेतु प्रथक प्रथक स्वीकृत की गई थी । इस योजना के तहत कोरोना महामारी में अथवा अन्य कारण से मां-पिता को खो चुके 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सरकार की ओर से हर महीने एक निश्चित राशि दी जाती है । 7 माह के हिसाब से 56000 रु कार्यालय द्वारा आवेदक के खाते में अंतरित किए गए।