उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 पहुंच गई हैं. इनमें 108 से अधिक महिलाएं शामिल हैं. पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.आरोपी बाबा अब तक फरार है. इस हिस्ट्रीशीटर ढोंगी बाबा को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करके उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज करना चाहिए. इसी के साथ इस कथित सत्संग को अनुमति देने और लापरवाही बरतने के दोषी सभी अधिकारियों पर भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. इस तरह के हादसे होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक भीड़ को बाबा तक पहुंचने से रोकने के लिए उनके निजी सुरक्षाकर्मी और सेवादारों ने कुछ लोगों को धक्का दिया, जिससे वे गिर गए. इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई. जान बचाने के लिए लोग खुले की ओर दौड़ पड़े. वहां ढलान पर कई लोग फिसल गए और भीड़ उनके ऊपर चढ़ गई. यह आश्चर्यजनक है कि पुलिस ने मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उसमें आरोपी बाबा नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) का नाम नहीं है. जबकि पुलिस ने धार्मिक सत्संग के आयोजक देव प्रकाश मधुकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 105, 110, 126(2), 223 और 238 के तहत केस दर्ज किया गया है. यहां सवाल यह है कि पुलिस बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कर रही है ? क्या बाबा को बचाने की कोशिशें राजनीतिक स्तर पर हो रही हैं ? बाबा के बारे में बताया जाता है कि उसके अनुयायियों में अधिकांश दलित और अति पिछड़े वर्ग के हैं. क्या वोट बैंक की राजनीति के कारण बाबा को बचाया जा रहा है ? यदि ऐसा है तो हाथरस जिला प्रशासन की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है. हाथरस कांड के लिए सबसे अधिक कोई जिम्मेदार है तो वो बाबा ही है. बाबा ने भोले भाले भक्तों को एकत्रित तो कर लिया लेकिन भीड़ को संभालने के इंतजाम नहीं किए. प्रशासन ने भी राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार के चलते इस सत्संग को अनुमति दे दी. इस तरह के हादसे अनेक कथाओं और सत्संग के दौरान हो चुके हैं. पंडित प्रदीप मिश्रा और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथाओं में हमेशा भगदड़ की आशंका बनी रहती है. जाहिर है इस तरह की कथा भंडारे करने के संबंध में एक व्यापक दिशा निर्देश बनने चाहिए. इसके लिए केंद्रीय स्तर पर विशेषज्ञों की एक समिति बननी चाहिए जो मेले,धार्मिक कथाओं और त्योहारों पर एकत्रित होने वाली भीड़ के मैनेजमेंट संबंधी व्यापक और ठोस सुझाव दें. इस आधार पर बाकायदा नियम बनने चाहिए. यह नियम न केवल बनाए जाएं बल्कि उन पर कड़ाई से अमल भी किया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में लगभग 60 फ़ीसदी साक्षरता के बावजूद पाखंडी बाबा इस तरह का समागम आयोजित कर लेते हैं. देश के अनेक बाबाओं के बारे में कहा जाता है कि उनका क्रिमिनल रिकॉर्ड है. अनेक ऐसे बाबा हैं,जो अतीत में गंभीर अपराधों के लिए जेल जा चुके हैं. सवाल यह है कि आधुनिक युग में इस तरह के ढोंगी बाबा सफल क्यों हो जाते हैं ? इसका कारण यह है कि समाज में अनेक कारणों से तनाव और अशांति है. इसके अलावा देश का आम आदमी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है.ऐसे में उसका विश्वास आसानी से बाबाओं पर हो जाता है. बाबा भक्तों के इसी भोले विश्वास का शोषण करते हैं. हाथरस कांड के केंद्रीय खलनायक कथित भोले बाबा के बारे में कहा जाता है कि उसने यह प्रचार कर रखा था कि वो गंभीर बीमारियों को दूर कर सकता है. खासतौर पर ब्लड कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों को दूर करने का वो दावा करता था. देश में कैंसर, ओपन हार्ट सर्जरी, किडनी और लीवर हार्ट ट्रांसप्लांट जैसी सर्जरी में लाखों रुपए लगते हैं. जाहिर है इन बीमारियों का इलाज आम जनता के पहुंच के बाहर है.ऐसे में पीडि़त व्यक्ति आसानी से इस तरह के बाबाओं के जाल में फंस जाता है.बहरहाल, इस तरह के आयोजनों को अनुमति देने से पूर्व कड़ी जांच कर लेनी चाहिए तथा प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भगदड़ होने की स्थिति में भीड़ मैनेजमेंट के क्या उपाय हैं. हाथरस कांड के सभी आरोपियों को पकडक़र दंडित करना चाहिए. कुल मिलाकर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह के हादसे फिर से ना हो सकें.
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