ग्वालियर। पुणे महाराष्ट्र से आए कलाकारों के साथ मिलकर शहर के चितेरों ने एकाग्र मन से पहले जलबिहार की खूबसूरती को अपनी आंखों में कैद किया, फिर अपने अपने अंदाज में कैनवास पर हूबहू उकेरकर कलाप्रेमियों को चकित कर दिया।
आईटीएम के कुलपति रमाशंकर सिंह भी कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा देख दंग रहे गए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में कलााकरों की कमी नहीं हैं, सिर्फ उन्हें दिशा देने की जरूरत है, जो काम कल्पवृक्ष आर्ट गैलरी के प्रमोद कुमार जोशी की टीम कर रही है।
कल्पवृक्ष आर्ट गैलरी की कार्यशाला के दूसरे दिन कलाकार रविवार की सर्द सुबह में जलबिहार पहुंच गए, जहां सबसे पहले पुणे से आए मंगेश शिंदे ने जलबिहार के बीचोंबीच बनी पत्थर की खूबसूरत संरचना पर दाना चुगते कबूतरों का हुबहू दृश्य चित्रण किया। कला के छात्रों ने उन्हें ध्यानपूर्वक कलाकर्म करते देखे, फिर खुद कैनवास और कूची लेकर जलबिहार की खूबसूरती को कैनवास पर उतारने में जुट गए। किसी ने जलबिहार के खूबसूरत गुंबद तो किसी ने कल कल करते जल को चित्र रूप में परिवर्तित कर दिया। महापौर कार्यालय की खूबसूरती भी कैनवास पर अलग ही रूप में नजर आ रही थी।
मिट्टी से स्व. वासंती को किया जीवंत
राजा मानसिंह तोमर कला विश्वविद्यालय के प्रदीप पाटील के हाथ का हुनर कुछ अलग ही गढ़ रहा था। जिन वासंती जोशी की स्मृति में यह आयोजन किया जा रहा है। उनके चित्र को आगे उन्होंने मिट्टी से अठखेलियां करते हुए स्व. वासंती को जीवंत कर दिया। उन्होंने स्व. वासंती की ऐसी सुंदर रिलीफ बनाई, जिसे हर कोई देखता ही रह गया। इसे न मूर्ति कह सकते हैं और न पैंटिंग। यह दोनों के बीच की रचना हैं, जिसमें मिट्टी को उभार देकर चित्र से प्रतिकृति बना दी जाती है।
इन कलाकारों ने बनाए लैंडस्केप….
गिनीज बुक रिकॉर्डधारी दुष्यंत, पुणे से आए अस्मिता पगारे, शुभम गायकवाड़, विवेक पराड़न, लक्ष्मी शर्मा, पल्लवी शर्मा, वैष्णवी शर्मा सहित कुल 19 कला के विद्यार्थियों ने लैंडस्केप बनााया। इस मौके पर इस मौके पर कल्पवृक्ष आर्ट गैलरी के प्रमोद कुमार जोशी, विवेक तिवारी, पुनीत जोशी, कुलदीप जोशी, वास्तुविद् संजय भदौरिया, भूषण नारले प्रमुख रूप से मौजूद रहे।