हाईकोर्ट से मिली छात्र को अंतरित राहत
जबलपुर। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद भी अनुर्त्तीण किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एस ए धर्माधिकारी तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने मेडिकल छात्र को अंतरित राहत प्रदान करते हुए अगली कक्षा में शामिल में शामिल होने के आदेश जारी किये है। युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता छात्र शशांक हारोडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र है। उसने अप्रैल 2024 में एमबीबीएस की परीक्षा में शामिल हुआ था। उसे एनाटॉमी विषय में प्रैटिकल व थ्योरी में कुल 157 अंक प्राप्त हुए थे। जिसमें से 43 अंक थ्योरी में प्राप्त हुए थे। थ्योरी में 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त होने के बावजूद भी उसे अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि एनएमसी अगस्त 2023 को एक अधिसूचना जारी की थी। जिसमें उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40 अंकों निर्धारित किये गये थे। इसके अलावा किसी प्रकार के अनुग्रह अंक प्रदान नहीं किये जाने का निर्देश भी जारी किये थे। यह अधिसूचना 1 अगस्त 2023 से बाद आयोजित की जाने वाली परीक्षाएं पर प्रभारी थी, चाहे बैच कोई भी हो।
युगलपीठ ने छात्र को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय को निर्देशित किया है कि उसे द्वितीय वर्ष के एम बी बी एस पाठ्यक्रम की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने प्रदान की जाये। युगलपीठ ने मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी तथा नेशनल मेडिकल कमीशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अंतिम निर्णय याचिका के अधीन रहेगा।