बेंगलुरु 22 नवंबर (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूएस एफडीए की तरह वैश्विक मानकों वाला भारत एफडीए बनाए जाने की वकालत करते हुए आज कहा कि पूंजीवाद की अपनी सीमाएं हैं और भारत को एक ‘जिम्मेदार पूंजीवादी’ देश के रूप में ब्रांड करना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण ने यहां 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में कहा ” हमें समझना चाहिए कि पूंजीवाद की अपनी सीमाएं हैं और हमें भारत को एक ‘जिम्मेदार पूंजीवादी’ देश के रूप में ब्रांड करना चाहिए।” उन्होंने कहा ” हमने सर्कुलर इकोनॉमी और री-यूज के सिद्धांत का पालन नहीं किया, क्योंकि हम एक गरीब राष्ट्र थे। हमने इसे अपनी जिम्मेदारी के रूप में सोचा कि हम अपनी जरूरत के अनुसार इसका इस्तेमाल करें न कि अपने लालच के अनुसार।”
वित्त मंत्री ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत की ताकत प्राचीन काल से ही बरकरार है। एक शीर्ष वैज्ञानिक, इरविन श्रोडिंगर ने कहा है कि ‘मेरे अधिकांश विचार और सिद्धांत वेदांत से काफी प्रभावित थे’। बाहर के लोग भारत के उस ब्रांड को पहचानने के लिए तैयार हैं, जिसने विज्ञान में अपना दबदबा बनाया। हमें इसे जारी रखने की जरूरत है और ‘ब्रांड भारत’ को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आर्थिक भलाई धर्म द्वारा निर्देशित होनी चाहिए! यह धर्म के सिद्धांतों के भीतर अर्थ होना चाहिए। उन्होंने कहा ” यह महत्वपूर्ण है कि भारत के शीर्ष 100 पर्यटन केंद्रों में, हमारे पास एक स्व-शिक्षण कार्यक्रम हो जो उस स्थल की वास्तुकला, उस स्थल के पर्यटन के मूल्य को समझने और संस्कृत, पाली या किसी अन्य भाषा के लिए डिजिटल रूप से चलाया जाता हो जो उस स्थल से जुड़ी हो। हमें उन लोगों के लिए शिक्षण सामग्री देनी चाहिए जो भारतीय वास्तुकला को समझना चाहते हैं ताकि पर्यटन के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण प्रदान किया जा सके।”