अधिकारियों को मालूम ही नहीं, पांच महीने से चल रहा खेल
इंदौर: इंदौर कलेक्टर कार्यालय से खरगोन जिले की जाति के प्रमाण पत्र जारी हो गए है. यह काम कलेक्टर कार्यालय में पिछले पांच महीनों से लगातार जारी है, लेकिन किसी अधिकारी और कलेक्टर के संज्ञान में नहीं आया. बताया जाता है कि इंदौर से पांच हजार जाति प्रमाण पत्र जारी हो चुके है, वह जाति इंदौर में नहीं पाई जाती है.स्थानीय कलेक्टर कार्यालय से मांझी जनजाति के प्रमाण पत्र बनाए गए है. मांझी जनजाति खरगोन जिले में पाई जाती है. उक्त फर्जी प्रमाण पत्र अधिकारियों की डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करके बनाए गए है. आश्चर्यजनक बात यह है कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का काम पिछले चार पांच महीने से चल रहा है.
अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं लगी, यह सोचने वाली बात है. पिछले चार पांच महीनों में पांच हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र जारी हो चुके है. जनजाति प्रमाण पत्र पहली बार जब पकड़ में आए , उसमें एसडीएम मल्हारगंज निधि वर्मा के क्षेत्र से 6, एसडीएम ओम नारायण बड़कुल के क्षेत्र से 6 और राऊ एसडीएम विनोद राठौर के इलाके से 4 प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया. प्रमाण पत्र की जांच में खुलासा हुआ कि लोक सेवा गारंटी के कंप्यूटर आपरेटर के माध्यम से जारी हुए है. अधिकारियों की डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करके सीधे जारी कर दिए गए. बताया जाता है कि ज्यादातर मांझी जनजाति के प्रमाण पत्र बनाए है, वह जाति इंदौर जिले में पाई ही नहीं जाती है.
कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई
इस मामले को लेकर कलेक्टर अशीष सिंह ने जांच कमेटी गठित कर तीन दिन में रिपोर्ट देने का कहा है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ऑपरेटरों पर वैधानिक कारवाई की जाएगी