दक्षिणी राज्यों में कृषि योजनाओं के कार्यान्वयन की मध्यावधि समीक्षा

नयी दिल्ली,20 नवंबर (वार्ता) केंद्र सरकार ने राज्यों से अपने पास उपलब्ध धन को खर्च करने का अनुरोध किया है जिससे उन्हें अधिक राशि का आवंटन किया जा सके।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को यहां बताया कि आंध्रप्रदेश के विशाखापटनम में 18 और 19 नवंबर को दक्षिणी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विभिन्न कृषि योजनाओं की मध्यावधि समीक्षा के लिए एक क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया। बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव देवेश चतुर्वेदी और आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी के प्रमुख अधिकारी इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में प्रगति का मूल्यांकन करने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए एकत्र हुए।

बैठक में डॉ.चतुर्वेदी ने कहा कि राज्यों से किसानों की रजिस्ट्री के लिए आक्रामक रूप से काम किया जाना चाहिए जिससे केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित दोनों योजनाओं का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने कृषि संबंधित विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यों को अपने पास उपलब्ध धन को तेजी से खर्च करना चाहिए जिससे उन्हें अधिक राशि आवंटित की जा सके।

बैठक में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, कीटनाशक अधिनियम के तहत प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल मान्यता, कृषि निवेश पोर्टल का कुशल उपयोग, कार्बन क्रेडिट, नमो ड्रोन दीदी, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार , किसान उत्पादक संगठन , मृदा स्वास्थ्य कार्ड और कृषि अवसंरचना कोष आदि की समीक्षा की गयी। बैठक का समापन काश्तकारी, उन्नत नमूनाकरण प्रणाली, अंतरफसल, बीजों की परत-दर-परत खेती, सूक्ष्म सिंचाई, जैविक खेती, बीजों की गुणवत्ता आदि जैसे अनेक मुद्दों पर चर्चा के साथ हुआ।

डॉ. चतुर्वेदी ने राज्यों से समय पर धन आवंटन सुनिश्चित करके और राज्य के योगदान तथा एकल नोडल खाते शेष राशि से संबंधित मुद्दों को हल करके केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने प्रत्येक राज्य को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सहयोग मिलने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र उनका पूर्ण भागीदार है और किसानों की स्थिति में सुधार लाने तथा उनके राज्यों में कृषि संबंधी गतिविधियों का विस्तार करने में उनकी सहायता करेगा।

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