जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला मेजर को राहत देने से इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने
कहा कि इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी हो चुकी, जो याचिकाकर्ता महिला के खिलाफ है। इसलिए इस मामले पर दखल नहीं दिया जा सकता।यह मामला महिला मेजर की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया कि सीओडी में वर्ष 2020 में उसकी पदस्थापना हुई थी। आरोप था कि सीएमएम में एडवांस मटेरियल मैनेजमेंट कोर्स करने के दौरान जनवरी 2021 से 8 नवम्बर 2021 के दौरान वहां पर पदस्थ ले. कर्नल ने आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हुए बदनियत से उसका हाथ पकडऩे की कोशिश भी की।
इन घटनाक्रमों की शिकायत उच्च अधिकारियों से किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद 7 अप्रैल 2021 की शाम आयोजित परीक्षा के दौरान फैकल्टी रूम में सिर्फ ले. कर्नल थे और उन्होंने एक बार फिर याचिकाकर्ता से आपत्ति जनक बातें कीं। जिसके बाद आंतरिक शिकायत समिति को शिकायत की गई। जांच के उपरांत 31 दिसंबर 2021 को जांच समिति ने याचिकाकर्ता को ही दोषी पाते हुए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए। याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी चार्जशीट पर आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल से राहत न मिलने को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान केन्द्र शासन की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल पुष्पेन्द्र यादव ने पक्ष रखा।