गुरुनानक देव गुरुद्वारे पर अखंड पाठ साहिब का भोग लगा
ग्वालियर: सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव के तीन दिवसीय प्रकाश पर्व पर कीर्तन दरबार सजाया गया। कीर्तन दरबार में लखविंदर सिंह, जसविंदर सिंह लुधियाना वाले और जतिंदर सिंह ने गुरु की महिमा सुनाई। शुक्रवार को फूलबाग स्थित श्री गुरुनानक देव गुरुद्वारे पर सुबह अखंड पाठ साहिब का भोग लगाया गया। साथ ही शहर के सभी गुरुद्वारों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। लंगर सजाए गए।
ग्वालियर किले पर स्थित गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पर भी प्रकाश पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालुऔ ने यहाँ पहुंचकर मत्था टेका व अरदास की। इस गुरुद्वारे का इतिहास भी काफी रोचक है. गुरु नानक देव के प्रवेश के बाद सिख समाज बढ़ने लगा था. सिख गुरुओं ने नानक राज स्थापित करने की ओर कदम बढ़ा दिए थे. इस बीच गद्दी संभालने वाले 6वें गुरु हरगोविंद साहेब सिख-दर्शन की चेतना को नए अध्यात्म दर्शन के साथ जोड़ने के काम में जुटे हुए थे. हरगोविंद साहेब एक योद्धा थे. वह शास्त्र और शस्त्र दोनों विधाओं में पारंगत थे. उनकी बदौलत समाज में मुगल सल्तनत के खिलाफ विद्रोह पनपने लगा था. इसी बीच मुगल शासक जहांगीर ने उन्हें बंदी बनाकर ग्वालियर किले में कैद कर लिया था. उसी जगह पर यह गुरुद्वारा बना है।
ग्वालियर भी आए थे गुरुनानक साहिब
गुरु नानक देव ने विश्व कल्याण के लिए कदम बढ़ाने का फैसला किया और पूरी दुनिया में कई हजार किलोमीटर का सफर किया था. बड़ी बात यह थी कि उनकी यात्रा ने जब मध्य प्रदेश के हिस्से में प्रवेश किया तो सबसे पहले उनका आगमन ग्वालियर रियासत में हुआ था. यहां लोग उनके संदेश से प्रभावित हुए और धीरे-धीरे सिख समाज बढ़ता गया. ग्वालियर फूलबाग गुरुद्वारा के प्रेसिडेंट एचएस कोछड़ ने बताया कि ग्वालियर के इसी फूलों वाले बगीचे में गुरुनानक साहिब ने लोगों को धार्मिक संदेश दिए था. उसी जगह फूलबाग गुरुद्वारा बना है. ग्वालियर से उन्होंने प्रदेश के 5 हिस्सों में भी यात्रा की, जिनमें भोपाल के साथ खंडवा ओंकारेश्वर बैतूल भी शामिल थे.