सिडनी, 15 नवंबर (वार्ता)वैज्ञानिकों ने दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में दुनिया का सबसे बड़ा और करीब तीन से पांच सौ साल पुराना मूंगा खोज निकाला है, जो दो बास्केटबॉल कोर्ट के आकार का है तथा अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है।
नेशनल ज्योग्राफिक की प्रिस्टिन सीज़ टीम के समुद्री वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया यह मूंगा 34 मीटर चौड़ा, 32 मीटर लंबा और 5.5 मीटर ऊंचा। इसे सोलोमन द्वीप समूह के थ्री सिस्टर्स द्वीप समूह में पाया गया है।यह न केवल अपने आकार से अद्वितीय है, बल्कि इसमें विभिन्न प्रकार की मछलियों, केकड़ों, झींगों और अन्य समुद्री जीवों का घर भी है।
नेशनल ज्योग्राफिक खोजकर्ता इन रेजिडेंस एनरिक साला ने इस खोज को एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज बताया। उन्होंने कहा कि मूंगा अच्छी स्थिति में है लेकिन चेतावनी दी कि यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से प्रतिरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा, “चिंता का कारण है। अपने दूरस्थ स्थान के बावजूद, यह मूंगा ग्लोबल वार्मिंग और अन्य मानवीय खतरों से सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा,“ शुरुआत में मूंगा दिखने टीम के सदस्यों ने इसे जहाज़ का मलबा समझा। पानी के नीचे के छायाकार, मनु सैन फेलिक्स ने करीब से देखने के लिए 12 मीटर से अधिक गोता लगाया और संरचना को पावोना क्लैवस प्रजाति के एकल मूंगे के रूप में पहचाना।आगे की जांच में पाया गया कि मूंगा कई प्रजातियों के लिए आवश्यक आवास, आश्रय और प्रजनन भूमि प्रदान करता है।”
सोलोमन द्वीप के प्रधान मंत्री जेरेमिया मानेले ने कहा कि यह खोज भविष्य की पीढ़ियों के लिए मूंगा चट्टानों की सुरक्षा और रखरखाव के महत्व को रेखांकित करती है।
मूंगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेता है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हें और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में “पॉलिप” कहते हैं।