ओंकारेश्वर । ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर जी महाराज 9 नवंबर कार्तिक की गोपाष्टमी को मालवा भ्रमण के लिए जायेंगे । 15 दिन भ्रमण करने के बाद 23 नवम्बर श्री भैरव अष्टमी को वापस लौटेंगे। मंदिर ट्रस्ट के मुख्य पुजारी पंडित जगदीश चंद्र परसाई ने बताया की प्राचीन काल में ओंकारजी महाराज पालकी में सवार होकर माय लवाजमे के साथ मालवा निमाड़ में भक्तों का हाल चाल जानने के लिए जाते थे। ग्रामो में पड़ाव रहता था ग्रामवासी सभी व्यवस्थाएं करते थे। अनेक किसानो ने कृषि भूमि भी ओंकारजी महाराज के नाम से दान करी थीं। जमीने आज भी ओंकारजी के नाम से है । समय के चलते अब पालकी नहीं जाती है। किन्तु मान्यता है की ओंकारजी भगवान मालवा जाते है । गोपाष्टमी के एक दिन पूर्व मंदिर को गंगा नर्मदाजी के जल से पवित्र कर सभी मंदिरो में श्रृंगार कर गेंहू, घी, गुड़ से पंजरी बनाकर गोपाष्टमी को प्रात: चार बजे पूजन आरती कर भोग लगाया जाता है और भगवान को मालवा रवाना किया जाता। आगे 15 दिन तक ओंकारजी महाराज की साधारण पूजन होती है रात्रि शयन श्रृंगार झूला चौपड़ नहीं लगती है । 23 नंबर श्री भैरव अष्टमी पर ओंकारजी महाराज लौटकर वापस आएंगे उनके आगमन पर मंदिर को सजाया जायेगा। मंदिर फिर से सभी पूजा, झूला, चोपड, श्रृंगार होने लगेगा।
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