दुर्लभ संयोग, चर योग सिध्दि योग में 31 अक्टूबर को मनेगी दीपावली

नवभारत न्यूज

उज्जैन। 31 अक्टूबर कार्तिक माह कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी निशा रात्रि अमावस्या गुरुवार में दुर्लभ संयोग चंद्रमा-तुला राशि नक्षत्र -चित्रा के साथ चर योग सिध्दि योग मे दीपोत्सव का पर्व मनाया जायेगा।

ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार सनातन धर्म में तिथियों और व्रत-त्योहारों की गणना वैदिक पंचांग के आधार पर की जाती है। परंपरागत रूप से, दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस साल अमावस्या तिथि का विस्तार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन तक हो रहा है, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पंचांग के अनुसार, दीपावली उस दिन मनाई जाएगी जब प्रदोष व्यापिनी महानिशीथ रात्रि अमावस्या तिथि की प्रधानता रात्रि में अधिक होगी, जो रोशनी के पर्व का प्रतीक है। वैदिक पंचांग शास्त्र के अनुसार ज्योतिष और मुहूर्त शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो पारंपरिक मान्यता के अनुसार लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल और निशीथ काल का विशेष महत्व है। लक्ष्मी पूजन और दीपावली का पर्व मनाना अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए निशीथ काल में लक्ष्मी पूजन और साधनाएं विशेष महत्व रखती हैं। इस समय दैवीय और आसुरी दोनो शक्तियां सजीव होती है और फल देती हैं इसलिए, तिथि का चयन इस बात पर निर्भर करता है कि पूजा के समय अमावस्या तिथि निशिताकाल 31 अक्तूबर को करना चाहिए जो श्रेष्ठ माना जायेगा किसी भी प्रकार भ्रम की स्थिति उत्पन्न न होना चाहिए।

 

 

लक्ष्मी-गणेश, कुबेर की पूजा करना शुभ

ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास ने कहा कि कालगणना का केन्द्र उज्जैन शुरु से वैश्विक वैभव रहा है। दीपावली के दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश जी कुबेर की पूजा करना शुभ माना जाता है। गणेश जी को विघ्नों का नाश करने वाला माना जाता हैं। ज्योतिष शास्त्र मे उल्लेखनीय दीवाली की रात को महानिशा की रात कहा जाता है, रात्रि काल में जिसे निशीथ काल या तुरीय संध्या कहते हैं, यह समय काल तंत्रादि सिद्धियों के लिए सर्वोत्तम होता है।

 

पूजन का मुहूर्त

ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास के अनुसार दीपावली पर पूजन का मुहूर्त चर लग्न (मेष), प्रदोष काल सायंकाल 5 बजे से 6.39 बजे तक घर-परिवार (गृहस्थ), प्रदोष काल स्थिर लग्न (वृषभ) शाम 6 बजकर 45 मिनट लेकर 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। तंत्र मंत्र सिद्धि राज्य सुख संबंधित कार्य के लिए लक्ष्मी पूजा का निशिता मुहूर्त स्थिर लग्न-सिंह 31 अक्टूबर को रात 1 बजकर 15 मिनट से देर रात 3:05 बजे तक है।

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