परिवार को सुखी करना चाहते हो तो अपने सुख का त्याग करना पड़ेगा: राजन महाराज जी

श्रीराम कथा के तीसरे दिन भगवान श्रीराम के जन्मोउत्सव का कथा वाचक राजन जी महाराज ने किया वर्णन, हजारों श्रोताओं ने भक्तिरस में लगाया गोता

सिंगरौली : एनसीएल ग्राउंड बैढ़न-बिलौंजी में नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन प्रख्यात कथावाचक श्री राजन जी महाराज ने कथा में भगवान श्री राम जन्मोउत्सव का महिमा कर अपने वाणी से श्रोताओं को भक्तिरस में गोता लगाने के लिए विवश कर दिये।महिलाओं व बच्चों ने भक्तिभाव में विभोर होकर खूब झूमे। कथावाचक ने श्रीराम कथा सुनाते हुये अपने मुखार बिन्दुओं से कहा कि कथा श्रवण करने का यही फल है कि कथा कलयुग में सुन रहे हैं। कथा सुनते-सुनते त्रेता का आभास होने लगे तो वास्तव में कथा श्रवण किये हैं। श्री राजन महाराज जी अपने मुखार बिन्दु से कहते हैं कि एक बार जीवन भर याद रखिएगा अपने बारे में सोचने वाला कभी परिवार का कल्याण नही कर सकता है।

स्वयं के बारे में जो सोचता है वो राष्ट्र के बारे में नही सोच सकता है। स्वामी विवेकानन्द जी कहते हैं कि परिवार को सुखी करना चाहते हो तो अपने सुख का त्याग करना पड़ेगा। गांव को सुखी करना चाहते हो तो परिवार को त्याग करना पड़ेगा। प्रदेश को सुख करना चाहते हो तो गांव को त्याग करना पड़ेगा। राष्ट्र को सुखी करना चाहते हो तो प्रदेश को त्याग करना पड़ेगा और विश्व को सुखी प्रदान करना है तो सर्वस्व का त्याग करना पड़ेगा। यह स्वामी विवेका नन्द जीके मुख का वचन है। शरीर के एक-एक रोम पुलकीत है। जब जिहृवा बोलना बन्द कर देती है तब आँखे बोलना प्रारम्भ कर देती हैं। साथ ही श्री महाराज जी ने आगे बताते हुये कहा है कि जिसको भगवान दिखाई दे देंगे वो फिर बताने के लायक बचेगा नही और जो घूम-घूम कर बता रहा है कि हमको हुनमान जी , शंकर जी के दर्शन हुये हैं। वो देखा नही है, बल्कि वह भ्रम है।

वही महाराज जी ने एक कहानी के माध्यम से कहा से कि कोई अपने कमरे में रात को सोया हो, अंधकार हो और बिस्तर से नीचे पाव रखे और नीचे एक मोटी रस्सी पड़ी हो और उसी मोटी रस्सी पर उसका पाव चला जाए अंधकार में तो उसे ऐसा अभाव होगा कि उसने सॉप के ऊपर पाव रखा है। लेकिन प्रकाश के अभाव में वह झूठा रस्सी ही सर्प जान पड़ता है और यदि उसी समय प्रकाश आ जाए तो उस सर्प की भ्रांति समाप्त हो जाएगी। वो झूट समाप्त हो जाएगा। साथ ही आगे कहा कि भगवान को जानने का प्रयास न किया जाए बल्कि भगवान को मानने का प्रयास किया जाए। मानकर के प्रेम करते रहिए एक दिन भगवान की कृपा होगी और ये मानना ही जानने में परिर्वति हो जाएगा और हम भगवान को जान जाएंगे। कार्यक्रम में सबसे पहले विधिविधान भगवान की पूजा अर्चना किया गया। वही सीधी विधायक रीति पाठक के अलावा रींकू पाठक ,आरबी सिंह,गिरिश द्विवेदी, मिथिलेश मिश्रा, संयज दुबे, शिवम शुक्ला, नीरज पाण्डेय रीवा, नितेन्द्र सिंह, आनन्द सिंह , पंडित पारसनाथ तिवारी, विणा सिंह, प्रणव पाठक, विनोद चौबे खड़ौरा सहित अन्य मौजूद रहे।

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