आश्रम का जहां होना है पक्के निर्माण, सिंहस्थ क्षेत्र में दुखदाई हो गए अवैध कच्चे निर्माण

अतिक्रमण हटाना तो दूर जिम्मेदार अफसर ने भू-माफियाओं को रोका तक नहीं, पूर्व विधायक परुलेकर ने उठाया था मुद्दा

 

उज्जैन। मध्य प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजोरा गुरुवार को उज्जैन सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर बैठक लेने के लिए आए। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियों की बैठक लेते हुए सिंहस्थ के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। 15 करोड़ जो आगंतुक उज्जैन आएंगे उनकी सुलभ व्यवस्था करने से लेकर साधु-संतों के आश्रम के संबंध में चर्चा की। इस बैठक में अवैध निर्माण अतिक्रमण और अवैध कॉलोनी के मुद्दे पर भी सवाल गहराते रहे।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ 2028 के पहले साधु संतों और 13 अखाड़े से चर्चा करने के पश्चात आश्रमों के पक्के निर्माण के संबंध में उज्जैन में घोषणा की थी। इसके तुरंत बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज और सभी साधु संतों ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना करते हुए आभार भी व्यक्त किया था। अब गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजोरा ताबड़तोड़ उज्जैन आए और उन्होंने सिंहस्थ के आयोजन से जुड़े जरूरी निर्माण कार्यों के संबंध में अधिकारियों से चर्चा की।

कोठी पर भी अधिकारियों के बीच यही कानाफूंसी होती रही कि सिंहस्थ क्षेत्र में तो जहां साधु संतों के पक्के निर्माण करना है, वहां अवैध निर्माण इतने हो गए हैं कि उनको हटाने में पसीना आ जाएगा। जहां कच्चे निर्माण भी नहीं होने थे वहां अवैध रूप से पक्के निर्माण हो गए हैं। उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के संबंध में जनहित याचिका क्रमांक 4626/2012 इंदौर हाई कोर्ट में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता किशोर कुमार दग्दी ने नवभारत से चर्चा में बताया कि सिंहस्थ 2016 के पहले याचिका दायर की गई थी। जिसमें यही उद्देश्य था कि महाकुंभ में साधु संतों और 5 करोड़ आगन्तुकों को बेहतर सुविधा प्राप्त हो, बावजूद इसके आदेश को जिम्मेदार अधिकारी घोलकर पी गए।

 

महिदपुर की पूर्व विधायक ने उठाया था मुद्दा

महिदपुर की पूर्व विधायक कल्पना परुलकर ने भी विधानसभा में सिंहस्थ क्षेत्र के अवैध निर्माण अतिक्रमण अवैध कॉलोनी को लेकर प्रश्न लगाया था। ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने भी पत्र जारी किया था और सिंहस्थ क्षेत्र में पक्के निर्माण की अनुमति नहीं देने के आदेश जारी किए थे।

 

हटाना तो दूर रोका भी नहीं

सिंहस्थ 2016 के पहले जिस उद्देश्य को लेकर याचिका लगाई गई थी, वह तो पूरा नहीं हो पाया। याचिकाकर्ता किशोर दग्दी ने नवभारत से चर्चा में बताया कि जिन अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे, उसे तो ताक पर रख दिया और हाई कोर्ट के आदेश की अवेहलना कर अवैध निर्माण हटाए,बल्कि उल्टे अवैध कॉलोनी कटवाने में लग रहे।

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