ऊर्जाधानी में धूमधाम मनेगा दीपोत्सव का महापर्व
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 31 अक्टूबर। ज्योति से ज्योति जले, दीपोत्सव का महापर्व दीपावली कल दिन गुरूवार को समूचे ऊर्जाधानी में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। धनतेरस के अवसर पर खरीदी किये गये भगवान श्रीगणेश-लक्ष्मी एवं सरस्वती मॉ की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चन कर दीपोत्सव का पर्व मनाया जायेगा।
दीपोत्सव त्योहार को लेकर इस वर्ष युवाओं, बच्चों में खासा उत्साह है। रविवार को दीपावली महापर्व को लेकर घरों, दुकानों को सजाया गया है। साथ ही इलेक्ट्रानिक के तरह-तरह के फुलझड़ियों से सजाते हुए शाम के वक्त तरह-तरह के रंग-बिरंगे रोशनियों से ऊर्जाधानी जगमगा उठा है। दीपावली पर्व को लेकर चारों ओर उत्साह का माहौल बना हुआ है। दीपावली के पर्व को लेकर लोग जहॉ आज से ही सोसल मीडिया व्हॉट्सएप पर बधाई देना शुरू कर दिये हैं। वहीं कल दिन गुरूवार को दीपावली पर्व पर हनुमान मन्दिर औड़ी एवं माड़ा में मेला भी लगेगा। जहॉ श्रद्धालु भगवान हनुमान जी के दर्शन कर दीपावली का पर्व खुशी से मनायेंगे। वही माता लक्ष्मी जी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए। इसमें लक्ष्मी जी को कुछ वस्तुएं विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। वस्त्र में इनका प्रिय लाल, गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है। माताजी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय हैं। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, सिरा का नैवेद्य उपयुक्त है। प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। वही इस बार आतिशीबाजी करने बच्चो में भारी उत्साह है। हालांकि फटाखा की दुकानें सासन मे खोली गई है।
दीपावली पूजन और रात्रि के मुहूर्त
पं.डॉ. एनपी मिश्र के अनुसार प्रदोषकाल सायंकाल 5:47 से 8:21 बजे तक, वृष लग्न- रात्रि 6:12 से 8:12 बजे तक, सिंह लग्न- मध्यरात्रि बाद 12:39 से 2:54 बजे तक। साथ ही चर का चौघड़िया- शाम 5:47 से रात्रि 7:23 बजे तक, लाभ का चौघड़िया- रात्रि 10:35 से रात्रि 12:11 बजे तक, शुभ व अमृत पूर्वार्द्ध का चौघड़िया- मध्यरात्रि बाद 1:47 से अंत रात 4:15 बजे तक। शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी/स्थिर लक्ष्मी की पूजा करना क्षेष्ठ फलदाई माना गया है।