खामोश’ की रिलीज और एनएफडीसी को पैसे लौटाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा : विधु विनोद चोपड़ा

पणजी, 23 नवंबर (वार्ता) बॉलीवुड के जाने-माने फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा का कहना है कि एनएफडीसी की वित्तीय सहायता से बनी उनकी पहली फिल्म ‘खामोश’ की रिलीज और एनएफडीसी को पैसे लौटाने में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

55 वें आईएफएफआई के तीसरे दिन शुक्रवार को, प्रख्यात संगीत निर्देशक शांतनु मोइत्रा ने कला अकादमी, पणजी, गोवा में फिल्म निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक विधु विनोद चोपड़ा के साथ जीवंत तरीके से प्रस्तुति दी। खचाखच भरे हॉल में ‘लिविंग मूवीज: फिल्म निर्माण और रचनात्मक जीवन’ पर एक शानदार मास्टरक्लास सत्र का आयोजन किया। श्री मोइत्रा ने सत्र की शुरुआत फिल्म ‘परिणीता’ के अपने प्रसिद्ध गीत ‘पीयू बोले पिया बोले’ से की और कुछ ही देर में विधु विनोद चोपड़ा भी उनके साथ शामिल हो गये और पूरे सत्र के दौरान अपनी जीवंत ऊर्जा से सभी दर्शकों को बांधे रखा।

अपने शून्य से शुरू किये सफर को याद करते हुये, विधु विनोद चोपड़ा ने अपने शुरुआती दिनों में भी विजय आनंद के साथ काम करने के अपने सपने की कहानी सुनाई। विजय आनंद के किसी करीबी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह उन्हें विजय आनंद से मिलवाएंगे। उस वादे के लिये उन्हें महीनों तक इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन उनका वह पत्र कभी नहीं आया।

विधु विनोद चोपड़ा ने बताया कि एनएफडीसी की वित्तीय सहायता से बनी उनकी पहली फिल्म ‘खामोश’ की रिलीज और एनएफडीसी को पैसे लौटाने में उन्हें किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एनएफडीसी की नीति के अनुसार, यदि वे ऐसा करने में विफल रहे, तो अगली फिल्मों के लिये उन्हें कोई सहायता नहीं मिलेगी। जाने-माने निर्देशकों, वितरकों ने फिल्म की प्रशंसा की, लेकिन दोबारा किसी का भी फोन नहीं आया और अंत में, उन्हें खुद ही फिल्म का वितरक बनना पड़ा।

इन कहानियों से सीख लेते हुये, मोइत्रा ने याद किया, “ ‘परिणीता’ की शूटिंग के दौरान, खासकर फिल्म उद्योग में उस समय के रुझानों को देखते हुए इस फिल्म के संगीत के लोकप्रिय होने पर संदेह था, लेकिन विधु विनोद चोपड़ा ने सफलता या असफलता से पहले ही मुझे अगले तीन वीसीएफ फिल्म प्रोजेक्ट के लिए साइन किया और यही विधु विनोद चोपड़ा की पहचान है। ”

मोइत्रा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि विधु विनोद चोपड़ा अपने काम को लेकर कितने सख्त और अनुशासन प्रिय हैं। उन्होंने कहा, “ विनोद को यह नहीं पता कि वह कहां जाना चाहता है – लेकिन उसे यह ज़रूर पता है कि वह कहां खड़ा नहीं होना चाहता।”

श्री मोइत्रा ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में यह बताने का मौका नहीं छोड़ा कि कैसे यह विशेषता उनके और श्री चोपड़ा के साथ काम करने वाले अन्य लोगों के जीवन को कठिन बनाती है।

“ क्या व्यावसायिक संभावनाओं को समझना नवोदित फिल्म निर्माताओं के लिए आवश्यक है या नहीं”, विषय पर विधु विनोद चोपड़ा ने दृढ़ता से अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं केवल वही फिल्म बनाता हूं, जिस पर मुझे विश्वास होता है। उन्होंने यह कहते हुए अपना संबोधन पूरा किया मनोरंजन-शिक्षण-उत्थान: वीसीएफ में हम 3ई के सिद्धांत का पालन करते हैं।

Next Post

स्वास्थ्य सामाजिक उत्पादकता से जुड़ा है: धनखड़

Sat Nov 23 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email नयी दिल्ली/जोधपुर 23 नवंबर (वार्ता) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिकित्सा पेशे में व्यवसायीकरण और नैतिक ह्रास पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि स्वदेशी निर्मित चिकित्सा उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए। श्री धनखड़ […]

You May Like