आधुनिकता के दौर में भी भरोसे के साथ बही खाते की है पूछ परख
सुसनेर,24 अक्टूबर. पुष्य नक्षत्र पर गुरुवार को बाजार में बंपर व्यापार हुआ. इस बीच सदियों से चली आ रही परंपरा अनुसार कुछ व्यापारियों ने बही खाते की खरीदी की तो शेष बचे व्यापारी दीपोत्सव के दौरान इनकी खरीदी कर पूजा करेंगे. वर्तमान आधुनिकता के जमाने में बही खाते का स्थान कंप्यूटर और मोबाइल ने लिया है. इसके बावजूद भरोसे के बही खाते का वजूद आज भी बरकरार है. आज भी बड़े बड़े व्यापारी आधुनिकता के दौर में भी भरोसे के साथ बही खाते की खरीदी करते हैं.
व्यापारी बताते हैं कि पुष्य नक्षत्र व धनतेरस के दिन बही खाता खरीदना शुभ माना जाता है. व्यापारी इस दिन शुभ मुहूर्त में बही खाता, कलम, दवात आदि चीजें अपने व्यापार का हिसाब किताब लिखने के लिए खरीदते हैं. कंप्यूटर, मोबाइल और टेली के आने से पहले शहर के व्यापारी परंपरागत तरीके से बही खाता खरीदा करते थे. उसके बाद पारंपरिक वेशभूषा धारण कर, सिर पर टोपी, साफा और कुर्ते पायजामे में बहीखाता रखकर अपनी दुकानों पर पहुंचते थे और सुर्ख लाल रंग के बही खाते का पूजन करते थे.
50.60 फीसदी हुआ बहीखाता कारोबार
पहले बही खातों की इतनी खरीदारी होती थी कि दुकानों के बाहर बिक्री के लिए अलग से काउंटर लगाना पड़ता था, लेकिन अब पहले के मुकाबले 50.60 प्रतिशत बही खाता का कारोबार हो गया है. अब केवल परंपरा निभाने के लिए बही खाता की खरीदी करते है.
कंप्यूटर व मोबाइल खरीदना भी लाभदायक
पंडितों के अनुसार पुराने समय से ही दीपोत्सव के दौरान बही खाता खरीदने का प्रचलन रहा है. हालांकि आधुनिक समय में बही खाते की जगह अब कंप्यूटर और मोबाइल ने ले ली है. इसलिए शुभ मुहूर्त में जो व्यापारी बही खाता खरीदते हैं उसी तरह कंप्यूटर और मोबाइल भी दीपोत्सव में खरीदना लाभदायक रहेगा.