वाइब्रेंट विंध्य : रीवा में बायर-सेलर मीट का आयोजन

रीवा, 21 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के प्रयासों से चार संभागों में निवेशक सम्मेलन के बाद 23 अक्टूबर को रीवा में 5वीं आरआईसी आयोजित की जा रही है, जिसमें ‘वाइब्रेंट विंध्य’ बायर-सेलर मीट होगी।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार रीवा में होने वाली बायर-सेलर मीट में 2500 से अधिक उद्यमी शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल व्यावसायिक साझेदारियों को बढ़ावा देने का मंच है, बल्कि विभिन्न राज्यों के उद्यमियों के बीच महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
इस मीट का प्रमुख आकर्षण व्यावसायिक साझेदारियों के लिए बैठकें हैं। जहां विंध्य क्षेत्र के स्थानीय उद्यमी और बाहरी राज्यों के उद्यमी व्यवसाय अवसरों पर चर्चा कर करेंगे। बायर-सेलर मीट में 10 से अधिक राज्य उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और हरियाणा से उद्यमी शामिल होंगे। स्थानीय उद्यमियों को बाहरी राज्यों के उद्यमियों से सीधे मिलकर व्यापारिक अवसरों पर चर्चा करने का मौका मिलेगा। यह मंच नई व्यापारिक संभावनाओं को उजागर करने के साथ क्षेत्रीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी सहायक होगा।
रीवा में 23 अक्टूबर को होने जा रही कॉन्क्लेव की एक विशेषता होगी, जिसमें विंध्य क्षेत्र की समृद्ध और पारंपरिक खाद्य संस्कृति से प्रतिनिधियों को परिचय कराया जायेगा। बघेलखंड के विशिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेकर मेहमान स्थानीय स्वाद का आनंद उठाएंगे, जो न केवल स्वादिष्ट, बल्कि अत्यधिक पौष्टिक भी होंगे।
आयोजन में बघेलखंड के प्रमुख व्यंजन जैसे बगजा (बेसन से बनी जलेबी जैसी सेवई, जिसे दही के मट्ठे में डुबोकर तैयार किया जाता है), पनबुड़ा (चावल के आटे से बनी रोटी, जिसमें दाल का मिश्रण भरकर भाप में पकाया जाता है), रिचमच की सब्जी (विभिन्न दालों से बने पकौड़ों को दही की करी में पकाया जाता है), रसाज की कढ़ी (हल्की और पाचक बेसन और दही से बनी कढ़ी), महेरी (चावल और मट्ठे से तैयार एक हल्का और पौष्टिक व्यंजन, जो विंध्य क्षेत्र का विशेष भोजन है), दरभरी पूरी और गुड़म (दरभरी पूरी के साथ गुड़ की पारंपरिक मिठाई, जो ठंड के मौसम में लाभकारी मानी जाती है), खुरचन रोल (मलाई से बने इस मीठे रोल में कैल्शियम और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है), लवंग लता (सूखे मेवों और घी से बनी यह मिठाई खास अवसरों पर बनाई जाती है), लाटा (महुआ के फल और तिल से बना लड्डू) पसोरे जाएंगे। यह सभी व्यंजन स्वादिष्ट होने के साथ पोषक गुणों के कारण विंध्य क्षेत्र की खाद्य संस्कृति में खास स्थान रखते हैं। इनमें स्थानीय मसालों और शुद्ध सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
यह कॉन्क्लेव औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के साथ देश और विदेश से आए प्रतिनिधियों को बघेलखंड की समृद्ध खाद्य परंपरा से परिचित कराएगा, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

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